राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पिछले साल अविभाजित शिवसेना में उथल-पुथल के बाद 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता था, अगर महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में नाना पटोले के इस्तीफे के बाद महाविकास अघाड़ी (एमवीए) तेजी से आगे बढ़ता। एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के पतन के कारण राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपना फैसला सुनाए जाने के एक दिन बाद पवार यहां पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की ठाकरे की मांग व्यर्थ है क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान लोगों में बहुत अंतर है। अजित पवार ने कहा कि सबसे पहले, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष (नाना पटोले) ने तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे से परामर्श किए बिना इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफा देने के बाद ही इसकी घोषणा की गई थी। यह नहीं होना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ। उन्होंने कहा कि पटोले के इस्तीफे (फरवरी 2021 में) के बाद एमवीए, जिसमें राकांपा, कांग्रेस और अविभाजित शिवसेना साझेदार थे, को अध्यक्ष की नियुक्ति का मुद्दा उठाना चाहिए था। लेकिन दुर्भाग्य से हम एमवीए के रूप में ऐसा करने में विफल रहे। विधानसभा में विपक्ष के नेता पवार ने कहा कि शिंदे गुट की बगावत के कारण अयोग्यता का मुद्दा सुलझाया जा सकता था, अगर विधानसभा अध्यक्ष होते। लेकिन लंबे समय से डिप्टी स्पीकर सदन की कार्यवाही देख रहे थे। उन्होंने कहा, इस घटना (विद्रोह और नई सरकार के गठन) के बाद उन्होंने तुरंत उस पद को भर दिया। अगर पद पहले ही भरा होता, तो अध्यक्ष इन 16 लोगों (विधायकों) को अयोग्य घोषित कर देते। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीएम और डिप्टी सीएम को नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की ठाकरे की मांग के बारे में पवार ने कहा कि इससे कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मौजूदा लोगों में बहुत अंतर है। वे कभी इस्तीफा नहीं देंगे। वे सपने में भी इस्तीफा नहीं देंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि वह ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार को बहाल नहीं कर सकता है क्योंकि उन्होंने पिछले साल जून में फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को “उचित अवधि” के भीतर 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेना चाहिए था।
अजित पवार बोले- 16 विधायकों की अयोग्यता से निपटा जा सकता था, MVA ने आगे बढ़ने में रुची नहीं दिखाई
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