आईआईटी दिल्ली की ओर से यूएई के अबूधाबी, आईआईटी खड़गुपर के द्वारा मलयेशिया और आईआईटी कानपुर के द्वारा बहरीन या इंडोनेशिया में कैंपस स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। आईआईटी दिल्ली अक्तूबर या दिसंबर तक आबूधाबी कैंपस शुरू करने की घोषणा कर देगा। आईआईटी दिल्ली और यूएई सरकार के बीच भी औपचारिकताएं लगभग पूरी हो चुकी हैं। वहीं, कई अन्य भारतीय विश्वविद्यालय भी पूर्व एशिया, अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, सेंट्रल एशिया में अपने ऑफ कैंपस बनाने की तैयारी में है। यूजीसी जैसे ही विदेशों में भारतीय विश्वविद्यालयों के कैंपस स्थापित करने का रेगुलेशन 2023 जारी करेगी, उसके साथ ही आवेदन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष और विदेशों में कैंपस स्थापित करने वाली समिति के सदस्य प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) के कारण शैक्षणिक सत्र 2023-24 से भारतीय उच्च शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। नैक ए ग्रेड और शीर्ष एनआईआरएफ रैंकिंग वाले उच्च शिक्षण संस्थान विदेशों में अपना कैंपस स्थापित करने के लिए योग्य होंगी। विदेशों में भारतीय कैंपस स्थापित करने के लिए यूजीसी रेगुलेशन जल्द आएगा। इसके आधार पर आगे विश्वविद्यालय आवेदन कर पाएंगे। यूजीसी ने 2021 में अपने नियमों में संशोधन किया था, जिसके तहत विदेश और गृह मामलों के मंत्रालयों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा विदेशों में कैंपस स्थापित होंगे। यहां पर भारतीय डिग्री प्रोग्राम ऑफर किए जाएंगे। प्रोफेसर कुमार ने बताया कि प्रवासी भारतीय और आईआईटीयून भी अपने देशों में कैंपस स्थापित करने में इच्छा जता रहे हैं। ऐसे कई देश हैं जहां हमारे पास बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय हैं और आईआईटी के पूर्व छात्र हैं। वे चाहते हैं कि आईआईटी समेत भारतीय विश्वविद्यालय अपने कैंपस उनके देशों में स्थापित करें। अफ्रीकी देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीय इसके लिए सबसे अधिक इच्छुक हैं। दरअसल, अफ्रीकी देशों में कैंपस स्थापित करने की बहुत बड़ी संभावना है।
आईआईटी दिल्ली, खड़गपुर भी विदेश में बनाएंगे कैंपस; 15 से अधिक देशों पर नजर
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