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आईएमएफ के ईडी ने देश की जीडीपी और जीएसटी कलेक्शन को सराहा, राजन की टिप्पणी पर दिया ये जवाब

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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी निदेशक और भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने नवंबर 2023 में भारत के प्रभावशाली जीएसटी (माल और सेवा कर) कलेक्शन की सराहना की। उन्होंने कहा कि अगले डेढ़ से दो वर्षों के भीतर जीएसटी कलेक्शन प्रति माह दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। उन्होंने इस सफलता का श्रेय सरकार की ओर से लागू की गई ठोस कर नीतियों को दिया। सुब्रमण्यन ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अब तक के संकेतों को देखते हुए करीब डेढ़ से दो साल में हम एक महीने में दो लाख करोड़ रुपये के जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा छूने की उम्मीद कर सकते हैं। मुझे लगता है कि जीएसटी संग्रह का अच्छा प्रदर्शन अच्छी नीति लागू करने के कारण है। इसलिए कुल मिलाकर मुझे लगता है कि जीएसटी के मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन कराधान पर अच्छी नीति का सबूत है। सुब्रमण्यन ने जोर देकर कहा कि जीएसटी संग्रह में सकारात्मक प्रदर्शन भारत की अच्छी तरह से तैयार की गई कराधान नीतियों की व्यापक सफलता को दर्शाता है। यह प्रभावी राजकोषीय प्रबंधन के लिए देश की प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर सुब्रमण्यम ने बहुत संतोष व्यक्त किया। सुब्रमण्यन ने कहा, “मैं दूसरी तिमाही में 7.6 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर को देखकर बहुत खुश हूं। यह वित्त वर्ष 23 में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि के बाद आया है। इसलिए साल की पहली छमाही में अर्थव्यवस्था औसतन 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी है, जो एक वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूद बाधाओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शानदार प्रदर्शन है।”  पहली छमाही के प्रदर्शन का आकलन करते हुए उन्होंने चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए 7.7 प्रतिशत की प्रभावशाली औसत वृद्धि दर का अनुमान जताया। सुब्रमण्यन ने महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए भारत के आर्थिक प्रदर्शन को शानदार बताया। उन्होंने इन चुनौतियों का सामना करने में भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और गतिशीलता की सराहना की, एक जटिल अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक परिदृश्य के बीच इसकी पर्याप्त वृद्धि पर जोर दिया।

पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की टिप्पणियों पर दिया ये जवाब

सुब्रमण्यम ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की टिप्पणी पर कहा कि वे जो सवाल उठा रहे थे उसका जवाब जीडीपी के आंकड़ों ने ही दे दिया है। उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि महामारी के दौरान कई लोग थे जो बहुत नकारात्मक थे। ऐसे लोगों के मीडिया बयानों को देखेंगे तो आप पाएंगे कि उन्होंनें कहा था कि लाखों भारतीय हैं जो सड़कों पर मर रहे हैं। ऐसे लोग हैं जिन्होंने वास्तव में कहा था कि उस वित्तीय वर्ष के लिए जीडीपी में 20% से अधिक की गिरावट आएगी। कई लोगों ने इस तरह के बयान दिए और मुझे लगता है कि इनमें से कुछ भी सच नहीं हुआ है। इसलिए सामान्य तौर पर, मुझे लगता है कि भारत द्वारा लागू की गई सुइ जेनेरिस नीति के कारण, भारत के पास आत्मविश्वास और दृढ़ विश्वास था।