मुंबई, बिस्तर पर पड़े मरीज और चलने-फिरने में शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों को घर पर जाकर कोरोना की वैक्सीन देने की योजना का आज से शुभारंभ किया जाएगा। बीएमसी इस डोर टू डोर वैक्सीनेशन अभियान को के-पूर्व वॉर्ड अंधेरी में शुक्रवार से प्रायोगिक तौर पर शुरू कर रही है। इसके लिए निजी संस्था प्रॉजेक्ट मुंबई का सहयोग बीएमसी ले रही है। प्रायोगिक तौर पर सफल होने के बाद इस अभियान की शुरुआत बीएमसी 2 अगस्त से पूरे मुंबई में करेगी।
डोर टू डोर वैक्सीनेशन के लिए 4466 लाभार्थियों के परिजन ने बीएमसी के पास आवेदन किया है। मुंबई में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो कोरोना की वैक्सीन के लिए वैक्सीनेशन सेंटर पर जाने में असक्षम हैं। चलने फिरने में असमर्थ और शारीरिक रूप से कमजोर होने के नाते बेड पर ही पड़े रहने वालों को भी वैक्सीन का लाभ मिल सके, इसके लिए बीएमसी ने एक रूप रेखा तैयार भी की है। इस रूप रेखा को प्रायोगिक तौर पर शुक्रवार को अमल में लाया जाएगा। विशेषज्ञों के दिशा-निर्देशानुसार इन लाभार्थियो को को-वैक्सीन दी जाएगी। सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार कम से कम 6 महीने से बिस्तर पर होने का चिकित्सा प्रमाण पत्र परिजन को वैक्सीनेशन से पहले दिखाना अनिवार्य होगा। विशेषज्ञों की टीम की अगुवाई में लाभार्थियों का टीकाकरण किया जाएगा।
4 अगस्त से शुरू होगा जीनोम सिक्वेंसिंग लैब
कोरोना के बदलते स्वरूप यानी नए वैरिएंट का पता लगाने वाली मशीन आखिरकार गुरुवार को मुंबई के कस्तूरबा अस्पताल पहुंच गई है। कस्टम क्लियरेंस के बाद गुरुवार को यह मशीन बीएमसी के बेड़े में शामिल हो गई है। ट्रायल के बाद 4 अगस्त से कस्तूरबा अस्पताल में जीनोम सिक्वेंसिंग लैब शुरू हो जाएगा।
कोरोना के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस ने मुंबई में दस्तक दे दी है, जिसके तीन मामले अब तक मिल चुके हैं। इसकी पुष्टि जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए हुई है। हालांकि, इनकी पुष्टि देर से हुई, लेकिन अब नए वैरिएंट का पता बीएमसी को महज 24 घंटे में हो जाएगा। बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी के अनुसार जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए यूएस मेड एलुमिनिया कंपनी की मशीन कस्टम क्लियरेंस के बाद कस्तूरबा अस्पताल में गुरुवार को पहुंच गई है।
इसका इंस्टॉलेशन किया जा रहा है और सबकुछ समय पर हुआ, तो 4 अगस्त को उद्घाटन समारोह के बाद मशीन कार्यान्वित हो जाएगी। कस्तूरबा अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मशीन के जरिए महीने में करीब 15 हजार सैंपल का जीनोम सिक्वेंसिंग किया जा सकता है।