एशिया कप की मेजबानी को लेकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) आमने-सामने है। पीसीबी इस साल होने वाले इस टूर्नामेंट को अपने देश में कराने के पक्ष में है, वहीं एशियन क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष जय शाह इसे किसी तटस्थ देश में कराने का बयान दे चुके हैं। ऐसे में दोनों देशों की ओर से काफी बयानबाजी हो चुकी है। कई क्रिकेटर भी इस मामले में बयान देने से पीछे नहीं हट रहे हैं। अब पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी ने भी बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि कुछ समय पहले तक उन्हें भी एक भारतीय की तरफ से धमकी मिली थी, लेकिन उनकी टीम फिर भी भारत गई थी।
पाकिस्तान के पूर्व कप्तान ने लीजेंड्स लीग क्रिकेट के मौके पर मीडिया से बातचीत में कहा- एशिया कप को कौन ना कह रहा है? भारत ना कह रहा है। अफरीदी ने आगे कहा कि अगर भारत एशिया कप के लिए पाकिस्तान का दौरा करने का फैसला करता है तो उनका देश भारतीय टीम का बहुत ख्याल रखेगा। अफरीदी ने कहा- आप इंडियन टीम को भेजें तो सही। हमलोग उन्हें सर आंखें पर रखेंगे। इससे पहले मुंबई के एक भारतीय ने, मैं उनका नाम नहीं लूंगा, पाकिस्तान को धमकी दी थी कि उन्हें भारत आने की अनुमति नहीं दी जाएगी। लेकिन हमने सब कुछ अलग रखा और हमारी सरकार ने इसे एक जिम्मेदारी के रूप में लिया और पाकिस्तान की टीम भारत गई। इसलिए धमकियों से हमारे रिश्ते खराब नहीं होने चाहिए। खतरे बने रहेंगे।
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंधों के पुराने किस्सों की बात करते हुए, अफरीदी ने 2005 में भारत के पाकिस्तान दौरे के यादगार किस्से साझा किए। उन्होंने कहा- यह वास्तव में अच्छा होता अगर भारत पाकिस्तान आता। यह भारत के लिए क्रिकेट और पाकिस्तान की ओर एक कदम होता। यह युद्ध और झगड़े की पीढ़ी नहीं है, हम चाहते हैं कि रिश्ते बेहतर हों। हमने भारत के खिलाफ बहुत मैच खेले हैं। मुझे याद है जब हम भारत आए थे, तो हमें शानदार प्रतिक्रिया मिली थी। अगर आपको 2005 की सीरीज याद है, तो हरभजन और युवराज खरीदारी करने और रेस्तरां जाते थे और कोई उनसे पैसे नहीं लेता था। यही खूबसूरती है दोनों देशों के रिश्तों की।
अफरीदी ने कहा- मुख्य समस्या यह है कि हम एक साथ बैठकर बात नहीं करते हैं। जैसे हम यहां बैठकर बात कर रहे हैं, वैसे ही राजनेताओं को भी साथ आकर बात करनी चाहिए। उनकी बड़ी जिम्मेदारी है।
अफरीदी ने कहा- मुख्य समस्या यह है कि हम एक साथ बैठकर बात नहीं करते हैं। जैसे हम यहां बैठकर बात कर रहे हैं, वैसे ही राजनेताओं को भी साथ आकर बात करनी चाहिए। उनकी बड़ी जिम्मेदारी है।