गुजरात सरकार ने गुरुवार को अनधिकृत निर्माण को लेकर एक नई नीति की घोषणा की। इस नीति के तहत गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) द्वारा नियंत्रित औद्योगिक क्षेत्रों के अंदर अनधिकृत निर्माण को नियमित किया जाएगा। नई नीति वर्तमान में 220 औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यरत लगभग 70,000 औद्योगिक इकाइयों को कवर करेगी। गुजरात सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए उद्योग मंत्री बलवंत सिंह राजपूत ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) इकाइयों के मालिकों को जीआईडीसी क्षेत्र में आवंटित भूखंडों पर किए गए किसी भी अनधिकृत निर्माण को विशिष्ट शुल्क का भुगतान करके वैध किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह नीति जोखिम वाले औद्योगिक इकाइयों को कवर नहीं करती है। गुजरात विधानसभा में एक विधेयक पारित किए जाने के एक महीने बाद इस नीति की घोषणा की गई। इस विधेयक में औद्योगिक इकाइयों के मालिकों से विशिष्ट शुल्क एकत्र करके शहरी क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण को नियमित करने का प्रावधान है। हालांकि, विधेयक में औद्योगिक भूसंपत्ति शामिल नहीं थी। गांधीनगर में मीडिया से बात करते हुए राजपूत ने कहा, तेजी से औद्योगिक विकास के चलते औद्योगिक क्षेत्रों में समय के साथ अनाधिकृत निर्माण सामने आया। अगर हम ऐसे निर्माण हटाते हैं, तो यह औद्योगिक उत्पादन, रोजगार और निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। इसलिए हम यह नीति लेकर आए हैं। उन्होंने कहा कि बिना अनुमति के मौजूदा ढांचे पर किए गए निर्माण और औद्योगिक क्षेत्र में आवंटित भूखंड के बाहर किए गए अनधिकृत निर्माण को नियमित करने के लिए नीति में कोई प्रावधान नहीं है। नई नीति के तहक संपत्ति के अंदर 50 वर्ग मीटर से 300 वर्ग मीटर के बीच अनधिकृत आवासीय तरह के निर्माण को नियमित करने का शुल्क 3,000 रुपये से 18,000 रुपये तक होगा, जबकि 300 वर्ग मीटर से ऊपर के निर्माण के लिए 150 रुपये प्रति वर्ग मीटर अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा। राज्य सरकार ने एक बयान कहा है कि गैर-आवासीय निर्माण को नियमित करने के लिए दरें दोगुनी हैं, जबकि नए सिरे से उपयोग करने के मामलों में कारखाना मालिकों को इस नीति के तहत कोई राहत नहीं मिलेगी।
औद्योगिक इकाइयों के लिए गुजरात सरकार की नई नीति, अनधिकृत निर्माण को नियमित करने का प्रावधान
165