#BREAKING LIVE :
मुंबई हिट-एंड-रन का आरोपी दोस्त के मोबाइल लोकेशन से पकड़ाया:एक्सीडेंट के बाद गर्लफ्रेंड के घर गया था; वहां से मां-बहनों ने रिजॉर्ट में छिपाया | गोवा के मनोहर पर्रिकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरी पहली फ्लाइट, परंपरागत रूप से हुआ स्वागत | ‘भेड़िया’ फिल्म एक हॉरर कॉमेडी फिल्म | शरद पवार ने महाराष्ट्र के गवर्नर पर साधा निशाना, कहा- उन्होंने पार कर दी हर हद | जन आरोग्यम फाऊंडेशन द्वारा पत्रकारो के सम्मान का कार्यक्रम प्रशंसनीय : रामदास आठवले | अनुराधा और जुबेर अंजलि अरोड़ा के समन्वय के तहत जहांगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शन करते हैं | सतयुगी संस्कार अपनाने से बनेगा स्वर्णिम संसार : बीके शिवानी दीदी | ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आरती त्रिपाठी हुईं सम्मानित | पत्रकार को सम्मानित करने वाला गुजरात गौरव पुरस्कार दिनेश हॉल में आयोजित किया गया | *रजोरा एंटरटेनमेंट के साथ ईद मनाएं क्योंकि वे अजमेर की गली गाने के साथ मनोरंजन में अपनी शुरुआत करते हैं, जिसमें सारा खान और मृणाल जैन हैं |

‘कभी नहीं देखे इतने ज्यादा शव’, श्मशान-कब्रिस्तान की देखरेख करने वालों ने कही यह बात

185

गुजरात के मोरबी शहर में श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों की देखभाल करने वालों ने कहा कि उन्होंने दशकों में भी इतने कम वक्त में इतनी बड़ी संख्या में शवों को एकसाथ कभी नहीं देखा था।  ब्रिटिश काल में मच्छु नदी पर बना पुल रविवार को टूट गया था, जिससे लोग नदी में गिर गए। इस हादसे में 135 लोगों की जान चली गई। सुन्नी मुसलमानों के लिए मोरबी के सबसे बड़े कब्रिस्तान की देखभाल करने वाले साजिद पिलुदिया ने बताया कि इस घटना में मुस्लिम समुदाय के लगभग चालीस लोगों की जान चली गई। उसमें से 25 शवों को यहां और एक को सोमवार को पास के कब्रिस्तान में दफनाया गया। 1979 के मच्छु बांध टूटने की गटना के बाद यह सबसे बड़ी त्रासदी है। यह सब प्रशासन की लापरवाही की वजह से हुआ है। कब्र खोदने का काम कर रहे यूसुफ समदा और यूनुस शेख ने बताया कि रविवार की रात से सोमवार की शाम तक 25 में से 14 कब्रों को खोदा गया ताकि शवों को दफनाया जा सके। वह कहते हैं, यह हमारे लिए बहुत असामान्य घटना है, क्योंकि हम आमतौर पर एक महीने लगभग बीस कब्र खोदते हैं। मोरबी शहर में गैस से चलने वाले श्मशान घाट की देखभाल करने वाले भीमा ठाकोर बताते हैं कि उन्होंने दो दिनों (सोमवार और मंगलवार) में 11 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। ठाकोर ने बताया, सोमवार को नौ शव लाए गए और मंगलवार को दो। आमतौर पर, इस श्मशान में हर हफ्ते केवल दो से तीन अंतिम संस्कार किए जाते हैं। मैंने दशकों में इतने कम समय में इतनी ज्यादा मौतें नहीं देखीं थीं। मोरबी सिविल हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. प्रदीफ दुधरेजिया ने बताया, मोरबी त्रासदी के पीड़ितों की मौत का कारण स्पष्ट (डूबना) था, इसलिए मृतकों का पोस्टमार्टम नहीं किया गया। उन्होंने कहा, एक्सपर्ट्स की एक टीम ने पता लगाया कि सभी 135 लोगों की मौत की वजह डूबना है और कुछ की इससे जुड़ी चोटों के कारण है। उन्होंने आगे बताया, मौतों का कारण मालूम था और कुछ और पता लगाने के लिए कुछ भी नहीं था, इसलिए मृतकों का पोस्टमार्टम नहीं किया गया, मेडिकल एक्सपर्ट्स की एक टीम ने ऐसी ही सिफारिश (पोस्टमार्टम न करने की) की थी। श्मशान घाटों की देखभाल करने वाले और मृतकों के रिश्तेदार बताते हैं कि इस त्रासदी ने उन्हें 1979 की मच्छु बांध टूटने की घटना याद दिला दी है, तब मोरबी के हजारों निवासी बाढ़ के पानी में बह गए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *