राम मंदिर निर्माण के बाद अब जल्द ही मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन होगा। ऐसे में जब पूरा देश राममय हो रहा है तो राजनीतिक पार्टियों में भी खुद को हिंदू बताने की होड़ मची हुई है। कांग्रेस अपने धर्मनिरपेक्ष स्टैंड के चलते कहीं ना कहीं असमंजस में दिख रही है। ऐसे हालात में शिवसेना (यूबीटी) अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस के बचाव में उतर आई है। शिवसेना (यूबीटी) कहना है कि कांग्रेस पार्टी की आत्मा हिंदू है और पार्टी के नेताओं को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाना चाहिए। शिवेसना (उद्धव बाल ठाकरे गुट) ने बुधवार को अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे एक लेख में लिखा कि ‘अगर कांग्रेस पार्टी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण मिला है तो इसके नेताओं को कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए। इसमें गलत क्या है? कांग्रेस की आत्मा हिंदू है और इसमें छिपाने जैसी कोई बात नहीं है।’ सामना में शिवसेना (यूबीटी) ने लिखा कि ‘यह कहना गलत है कि हिंदुत्व पर भाजपा का हक है, जबकि भाजपा ऐसा ही दावा करती है। कांग्रेस ने भी हिंदू संस्कृति के विकास में योगदान दिया है।’ शिवसेना (यूबीटी) ने दावा किया कि ‘कांग्रेस ने कभी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी मानते थे कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए। राजीव गांधी के निर्देशों पर ही दूरदर्शन पर प्रसिद्ध रामायण धारावाहिक का प्रसारण किया गया था। शिवसेना ने भाजपा पर निशाना साधते हुए लिखा कि जब बाबरी विध्वंस हुआ था, अगर उस समय कोई भाजपा का प्रधानमंत्री होता तो बाबरी विध्वंस होता ही नहीं।’ साल 1992 में जब बाबरी विध्वंस हुआ था, उस वक्त देश के प्रधानमंत्री कांग्रेस के पीवी नरसिम्हा राव थे।
कांग्रेस नेताओं के राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल पर अंतिम फैसला अभी नहीं हुआ
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण मिला है। हालांकि अभी तक पार्टी इस पर कोई आधिकारिक फैसला नहीं ले सकी है। पार्टी का कहना है कि वह राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का जल्द ही फैसला करेंगे और समय आने पर इसके बारे में जानकारी दे दी जाएगी। महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस का गठबंधन है और दोनों पार्टियां एनसीपी (शरद पवार गुट) के साथ महाविकास अघाड़ी सरकार भी चला चुकी हैं। अब अगले विधानसभा चुनाव को भी तीनों पार्टियां साथ मिलकर लड़ने की तैयारी कर रही हैं। ऐसे में यही वजह हो सकती है कि राम मंदिर के मुद्दे पर फंसी कांग्रेस को शिवसेना (यूबीटी) का साथ मिला है।