वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में देश में अल्पसंख्यक भय में जी रहे हैं और उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। तेलंगाना में शनिवार को कांग्रेस नेताओं द्वारा आयोजित ईसाई अधिकार बैठक में पीएम पर उन्होंने निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और घरेलू बचत में कमी और घरेलू कर्ज में वृद्धि के कारण देश में सभी समुदायों को अपना उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है। पी चिदंबरम ने दावा किया कि न तो केंद्र में एनडीए सरकार और न ही तेलंगाना में बीआरएस सरकार इन समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है। चिदंबरम ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यकों के मामले में, एक चौथा कारण है कि उन्हें अपना उचित हिस्सा क्यों नहीं मिलता है, जो कि उनके खिलाफ भेदभाव है। उन्होंने कहा कि इस देश में अल्पसंख्यक डर के साये में रहते हैं। आप भी इस देश के उतने ही नागरिक हैं जितना मैं। आपके लिए डर में जीने का कोई कारण नहीं है, लेकिन मोदी सरकार के तहत, आप डर में जी रहे हैं। वह कहने लगे कि देश में ईसाइयों की आबादी 3.30 करोड़ है और मोदी सरकार के 79 मंत्रियों में केवल एक ईसाई है। उन्होंने कहा, कि सुप्रीम कोर्ट में 34 जज हैं। कोई ईसाई नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2017-21 के बीच 2,900 घटनाएं हुईं, जहां सांप्रदायिक संघर्ष हुआ और इन घटनाओं का खामियाजा अल्पसंख्यकों को भुगतना पड़ा।
भारत में खराब हो गई है धार्मिक स्वतंत्रता
वह आरोप लगाते हुए आगे बोले कि चर्चों पर कथित हमलों के बारे में मीडिया रिपोर्टों और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट का जिक्र किया, जिसमें उनके अनुसार, दावा किया गया था कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता खराब हो गई है। उन्होंने कहा कि भारत में हजारों संगठन हैं जो धर्मार्थ कार्य कर रहे हैं और वे दूसरे देशों से धन प्राप्त कर रहे हैं। ईसाई संगठन अन्य ईसाई देशों और ईसाई समूहों से धन प्राप्त करते हैं। जब तक कांग्रेस सत्ता में थी, हमने इसे नहीं रोका। चिदंबरम ने आगे कहा कि केंद्र की एनडीए सरकार ने 2017-22 के बीच 6,622 संगठनों का एफसीआरए (विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम) पंजीकरण रद्द कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के लोकतंत्र पर हमला हो रहा है और अगर देश में लोकतंत्र कम हुआ तो अल्पसंख्यक सबसे ज्यादा पीड़ित होंगे।