कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka HC) की फुल बेंच हिजाब मामले (Hijab Issue) पर सुनवाई कर रही है। मुस्लिम छात्राओं की तरफ से वरिष्ठ एडवोकेट देवदत्त कामत (Devadatt Kamat) ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने 5 फरवरी को जारी सरकारी आदेश के खिलाफ जिरह करते हुए कई पूर्व फैसलों और संविधान के अनुच्छेद 25 (Article 25 Of Indian Constitution) का जिक्र किया। पढ़िए कि फुल बेंच के सामने सुनवाई के दौरान पक्ष-विपक्ष की ओर से कौन-कौन सी दलीलें दी गईं।
संविधान के अनुच्छेद 25 का बार-बार हुआ जिक्र
कामत ने अपने दलीलों की शुरुआत में संविधान के अनुच्छेद 25 का बार-बार जिक्र किया। कामत ने कहा कि आर्टिकल 25 के तहत मिले अधिकार आर्टिकल 19 के तहत तार्किक पाबंदियों के दायरे में नहीं आते। कामत ने कहा कि ‘पब्लिक ऑर्डर’ केवल कानून-व्यवस्था में व्यवधान भर नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्य की यह जिम्मेदारी है कि नागरिकों के मूल अधिकारों का प्रयोग कर सकें। उन्हें यह कहकर रोका नहीं जा सकता है कि दूसरा तबका आपत्ति कर रहा है।
AIPMT पर केरल HC के फैसले का आया जिक्र
छात्राओं के वकील ने दिया कुरान की आयत का हवाला
मुस्लिम छात्राओं की तरफ से पेश कामत ने कुरान के चैप्टर 34 की 31वीं आयत को भी कोर्ट किया। इसमें महिलाओं से नजर नीची रखने और खुद को पर्दे में रखने को कहा गया है। चीफ जस्टिस ने जब पूछा कि ‘खुमूर’ क्या है तो उन्होंने कहा कि यह सिर का कवर है जो बालों को ढंकता है। कोर्ट ने जब पूछा कि क्या यह हिजाब है तो कामत ने कहा कि हां।
दावा- एडमिशन से ही हिजाब पहन रहीं स्टूडेंट्स
देवदत्त कामत ने कोर्ट में कहा कि छात्राएं एडमिशन के बाद से ही हेडस्कार्फ पहन रही हैं। पिछले दो साल से पहन रही हैं। कामत ने कहा कि लड़कियां केवल यह कह रही हैं कि वे यूनिफॉर्म के रंग वाले कपड़े से ही सिर ढकेंगी। कामत ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय भी यूनिफॉर्म के रंग के हिजाब की अनुमति देता है।
धर्म के आधार पर वकील ने पेश की यह दलील
कामत ने अदालत में कहा कि मुस्लिम छात्राएं देशभर में हिजाब पहनती हैं। सिख स्टूडेंट्स के लिए पगड़ी की अनुमति भी है। उन्होंने ‘एम अजमल खान बनाम चुनाव आयोग’ मामले में मद्रास हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि ‘मुस्लिम धर्मगुरुओं के बीच इस बात पर लगभग आम सहमति है कि पर्दा जरूरी नहीं है मगर सिर ढंकना जरूरी है।’