दिल्ली में केंद्र के अध्यादेश खिलाफ अरविंद केजरीवाल राज्यों में जा जाकर राजनीतिक पार्टियों से अपना समर्थन मांग रहे हैं। शुक्रवार को लोकसभा चुनावों को लेकर पटना में विपक्षी पार्टियों की बैठक हुई, जिसमें अरविंद केजरीवाल शामिल तो हुए लेकिन साझा प्रेस कांफ्रेंस में वह नहीं दिखे। लेकिन आम आदमी पार्टी ने पटना में राजनीतिक दलों की बैठक पर बयान जारी किया है। जिसमें आप ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जब तक कांग्रेस पार्टी केंद्र के अध्यादेश का सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं करेगी तब तक आप पार्टी का भविष्य की विपक्षी बैठकों में शामिल होना मुश्किल होगा। आप ने बयान जारी कर कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया काला अध्यादेश न केवल दिल्ली की निर्वाचिक सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनेगा बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए भी खतरा बनेगा। यदि इसका विरोध नहीं किया गया तो इस तरह से अन्य राज्यों में भी अध्यादेश लाए जाएंगे जिससे लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों की सत्ता को नुकसान होगा। इस काले अध्यादेश को हराना बहुत जरूरी है। अपने बयान में आप पार्टी ने कहा कि पटना में समान विचारधारा वाली पार्टी की बैठक हुई जिसमें 15 राजनीतिक पार्टियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 12 का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में है। लेकिन कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी पार्टियों ने काले अध्यादेश के खिलाफ स्पष्ट रूप से अपना रुख व्यक्त किया है कि वे सभी राज्यसभा में इसका विरोध करेंगे। काला अध्यादेश संविधान विरोधी, संघवाद विरोधी और पूर्णतया अलोकतांत्रिक है। इसके अलावा, यह इस मुद्दे पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को उलटने का प्रयास करता है और न्यायपालिका का अपमान है।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आप ने कहा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस की चुप्पी ठीक नहीं। अगर राज्यसभा में इस अध्यादेश पर वोटिंग हुई तो कांग्रेस इससे दूर रह सकती है। जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से केंद्र के काले अध्यादेश की निंदा नहीं करती और घोषणा नहीं करती कि उसके सभी 31 राज्यसभा सांसद राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे, तब तक आप के लिए समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य की बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा। अब समय आ गया है कि कांग्रेस तय करे कि वह दिल्ली की जनता के साथ खड़ी है या मोदी सरकार के साथ।