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कोल्हापुर में बेटे ने सामाजिक बंधनों को तोड़ा, पिता की मौत के बाद विधवा मां का करवाया पुनर्विवाह

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महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक युवक ने अपनी विधवा मां की साथी की जरूरत और सामाजिक कुप्रथा से लड़ने के लिए उसकी दूसरी शादी करवा दी। युवराज शेले (23 वर्षीय) ने पांच साल पहले एक सड़क दुर्घटना में अपने पिता को खो दिया था और इस मौत का उनकी मां रत्ना (45 वर्षीय) पर गहरा असर पड़ा। वह बताते हैं, जब मैं मात्र 18 साल का था तो अपने पिता को खोना मेरे लिए एक बड़ा झटका था। लेकिन उनकी मौत ने मेरी मां पर वास्तव में असर डाला, जिन्हें अकेलेपन से जूझना पड़ा और सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस करना पड़ा। शेले ने देखा कि पिता की मृत्यु के उनकी मां को सामाजिक कार्यक्रमों में आने के लिए मिलने वाले आमंत्रणों में भारी अंतर है और इससे उनकी मां मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित हो रही हैं। उनकी मां पड़ोसियों के साथ कम बातचीत के साथ ही घर पर अकेली रह रहीं थीं। उन्होंने कहा, ‘मेरी मां की शादी पिता से करीब 25 साल पहले हुई थी। यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को खो देता है, तो समाज सोचता है कि उसके लिए पुनर्विवाह करना स्वाभाविक है। मुझे आश्चर्य हुआ कि एक महिला पर भी यही विश्वास लागू क्यों नहीं होता है, और मैंने उन्हें फिर से शादी करने के लिए मनाने का फैसला किया।’ शेले एक छोटे से कार्यकर्ता हैं। वह बताते हैं, कोल्हापुर जैसे शहर में रिश्तेदारों और पड़ोसियों व करीबी समुदाय को समझाना आसान नहीं था। हालांकि, कुछ दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद से शेले ने अपनी मां के लिए दूल्हे की तलाश का कठिन कार्य शुरू किया। उन्होंने कहा, संयोग से मारुति घनवट साथ आए। हमें कुछ संपर्कों के माध्यम से उनके बारे में पता चला। हमने शादी के प्रस्ताव पर चर्चा की और उनके साथ शुरुआती बातचीत के बाद शादी तय हो गयी। यह मेरे लिए एक विशेष दिन था, क्योंकि मैं अपनी मां के लिए सही साथी खोजने में सक्षम हुआ। घनवट ने कहा, मैं कुछ वर्षों से अकेले जीवन जी रहा था। रत्ना से मिलने और उनसे बात करने के बाद मुझे लगा कि मैं इस परिवार के साथ रह सकता हूं और वे असली लोग हैं। रत्ना के लिए पुनर्विवाह करना एक कठिन फैसला था, क्योंकि वह अपने मृत पति को भूलने के लिए तैयार नहीं थी। रत्ना ने कहा, मैंने शुरू में इस विचार का विरोध किया था। मैं अपने पति को भूलने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। लेकिन इस मुद्दे पर बात करने के बाद मुझे यकीन हो गया। मैंने खुद से भी पूछा कि क्या मैं वास्तव में अपने बाकी जीवन में अकेले रहना चाहती हूं। रत्ना दो सप्ताह पहले शादी के बंधन में बंधी।

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