खादी अब डेनिम डिजाइनर लुक में भी मिलेगी। राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) के डिजाइनर के साथ मिलकर खादी को पहली बार डेनिम में तैयार किया है। कानपुर के स्वराज आश्रम ने निफ्ट डिजाइनर के साथ मिलकर विशेष खादी में डेनिम के जीन्स और शर्ट तैयार किए हैं। इसके अलावा, खादी केरल के प्रमुख त्योहार ओणम से खादी त्योहारों के लिए ‘नई फेस्टिव रेंज’ भी ला रहा है। ओणम के बाद राखी, नवरात्र, दशहरा, दीपावली, होली आदि पर विभिन्न राज्यों की संस्कृति व पहनावे को दर्शाने वाले पांरपरिक भारतीय परिधान आधुनिक रंग-रूप में मिलेंगे। खादी व ग्रामोद्योग आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विनीत कुमार ने बताया कि भारतीय पारंपरिक परिधानों को निफ्ट के डिजाइनर आधुनिक रंग रूप दे रहे। इसी के तहत केरल के प्रमुख त्योहार ओणम (20 अगस्त) से खादी की विशेष नई फेस्टिव रेंज आ रही है। इसके बाद विभिन्न त्योहारों को दर्शाती खादी की नई रेंज आती रहेंगी। इसमें उस त्योहार, उस राज्य की परंपरा, पहनावे, विशेषता को दर्शाया जाएगा। फेस्टिव रेंज में सूट, साड़ी, कुर्ता-पाजामा, सूती, रेशमी, पश्मीना को भी शामिल किया गया है। इसके लिए देश के अलग-अलग निफ्ट के डिजाइनर मदद कर रहे हैं। हमारा मकसद खादी को भारत से जोड़ते हुए वैश्विक स्तर पर लेकर जाना है। विदेशों में भारतीय परिधानों की खास मांग रहती है। उसी मांग को वैश्विक स्तर पर भारतीय परंपरा को जोड़ते हुए पहुंचाया जाएगा। खादी भारत ही नहीं, दुनिया के लिए एक ब्रांड बनाना है। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के मौके पर पहली बार उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित स्वराज आश्रम ने खादी से तैयार डेनिम के जीन्स और शर्ट शोकेस किये हैं। यह देखने में बाजार में बिकने वाले डेनिम के जैसे ही है। निफ्ट डिजाइनर की सहायता से कानपुर के बुनकर धीरेंद्र कुमार द्विवेदी ने इन खादी के डेनिम में जीन्स और शर्ट को तैयार किया है। इसके अलावा धीरेंद्र ने डिजाइनर की सहायता से उपकार फिल्म फेब्रिक से महिलाओं के लिए डिजाइनर कुर्ता भी तैयार किया है।
कत्था, रतनजोत, अन्नाटो से कर रहे डाई
केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय की सचिव रचना शाह ने बताया कि पहली बार राष्ट्रीय हथकरघा प्रदर्शनी में प्राकृतिक डाई के परिधानों को भी शोकेस किया गया है। प्राकृतिक डाई से हम पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं। देश भर के बुनकरों को इस डाई की जानकारी देना है, ताकि वे भी कैमिकल की बजाय प्राकृतिक डाई का प्रयोग कर सकें। प्रदर्शनी में पहली बार तमिलनाडु ने प्राकृतिक डाई को दर्शाया है। डिंडीगुल गांदीग्राम खादी ट्रस्ट के बुनकर मनीकंदन ने बताया कि उन्होंने साड़ी, फैब्रिक को प्राकृतिक रंगाई यानी डाई किया है। कैमिकल डाई से धरती के साथ शरीर पर भी नुकसान होता है। इसीलिए भारतीय पारंपरिक रंगाई वाली विधि को दोबारा शुरू किया जा रहा है। इसमें कत्था से ब्राउन, रतनजोत से ग्रे, अन्नाटो से येलो व ओरेंज, ब्रेजिलबुड से पिंक कलर आदि तैयार किया गया है।