महाराष्ट्र के ठाणे में 16,180 करोड़ की साइबर ठगी की जांच में सामने आया कि आरोपियों ने गरीबों को झांसा देकर उनके कागजात लिए और जाली दस्तावेज के आधार पर संस्था स्थापित की। फिर गरीबों के नाम पर खाते खोलकर 260 बैंक खातों से 16,180 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। इस ठगी में बैंक में काम करने वाले दो पूर्व कर्मचारी भी शामिल है, जिन्होंने गरीबों का केवायसी लेकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। ठाणे पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त (अपराध शाखा) पंजाबराव उगले ने सोमवार को बताया कि आरोपियों ने विभिन्न संस्थाओं के नाम पर पांच साझेदार कंपनियां बनाईं थीं। ऑनलाइन मनी ट्रांसफर करने वाली कंपनी पेगेंट इंडिया का सॉफ्टवेयर हैक कर कंपनी के 25 करोड़ रुपये निकाल लिए थे। इस मामले में कंपनी की कानूनी सलाहकार मनाली साठे ने ठाणे के श्रीनगर पुलिस थाने में केस दर्ज कराया था।
आरबीएल में 14 बैंकों से 350 करोड़ भेजे गए
उगले के अनुसार, मामला दर्ज होने के बाद फोरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि आरोपियों ने अब तक एचडीएफसी, यस बैंक, कोटक बैंक, फर्स्ट बैंक सहित करीब आधा दर्जन से भी अधिक बैंकों में 260 से भी अधिक फर्जी खाता खोलकर रुपये ट्रांसफर किए गए। कुछ पैसे विदेश में भी भेजे जाने की आशंका है। जांच में पता चला है कि आरबीएल बैंक में करीब 350 करोड़ का ट्रांजेक्शन 14 बैंकों के माध्यम से किया गया है, जिसकी जांच जारी है। अपराध शाखा की साइबर सेल ने जांच के दौरान शेख इमरान और रवि गुलानी को गिरफ्तार कर लिया। जब उनसे पूछताछ की गई तो पता चला कि 25 करोड़ में से एक करोड़ 39 लाख कंपनी रियाल एंटरप्राइजेज के बैंक खाते में गए थे। इसके बाद जालसाजी की परतें खुलती गई। पता चला कि रियाल इंटरप्राइजेज का मुख्य कार्यालय नवी मुंबई के सीबीडी बेलापुर में है। पुलिस ने कंपनी के वाशी और बेलापुर में रियाल एंटरप्राइजेज के कार्यालयों की तलाशी ली, तो विभिन्न बैंक खाते और करारनामें सामने आए। कुछ करारनामे ठाणे में भी हुए थे। ठगी का पता चलने के बाद नौपाडा पुलिस स्टेशन में पांच आरोपियों संजय सिंह, अमोल आंधले उर्फ अमन, केदार उर्फ समीर दिघे, जितेन्द्र पांडेय और अज्ञात लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। हालांकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।