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गुजरात में चुनाव प्रचार से क्यों गायब है कांग्रेस? आक्रामक न होने के पीछे यह है वजह

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गुजरात में चुनाव की तारीख तो नहीं घोषित हुई है, लेकिन चुनावी समर में मैदान का हर कोना कसा जा रहा है। सभी राजनीतिक दल गुजरात के चुनावी समर में अपनी पूरी ताकत झोंक चुके हैं। लेकिन अभी तक देश की सबसे बड़ी प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने उस तरीके से न चुनाव प्रचार करना शुरू किया है, और न ही रैलियों को आगे बढ़ाना शुरू किया है। चर्चा अब इस बात की जोरों पर हो रही है कि आखिर कांग्रेस की इस चुप्पी के पीछे कारण क्या है। कांग्रेस की इस चुप्पी को प्रधानमंत्री मोदी भी उतना ही सीरियस ले रहे हैं जितना कि राजनीतिक गलियारों में सियासी जानकार ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के गृह मंत्री अमित शाह से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्री और सांसद गुजरात के चुनाव में भाजपा की ओर से लगातार रैलियां कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल से लेकर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पार्टी के तमाम सांसदों से लेकर अन्य बड़े नेता गुजरात के चुनावी मैदान में जनता के बीच पहुंच चुके हैं। गुजरात में दो बड़ी पार्टियों के अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी गुजरात में राजनीतिक माहौल को भांपते हुए रैलियों के जरिए अपनी एंट्री कर चुकी है। वहीं हैरानी की बात यह है कि गुजरात में चुनावी माहौल चरम पर है, लेकिन कांग्रेस की ओर से अभी तक अन्य राजनीतिक दलों की आक्रामक रैलियां और बड़े नेताओं का राज्य में दौरा और बैठकों का सिलसिला नहीं शुरू हुआ है। अब कांग्रेस पार्टी की इस तरीके की चुप्पी सियासी गलियारों में तमाम तरह के सवाल खड़े कर रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस जानबूझकर ऐसा कर रही है। इसके पीछे तर्क देते हुए वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक यूसी पटेल कहते हैं कि दरअसल कांग्रेस अभी इस बात को समझना चाह रही है कि राज्य में जातिगत समीकरणों के लिहाज से और इलाकाई समीकरणों के लिहाज से दूसरी पार्टियां कितनी मजबूत फील्डिंग सजा रही हैं। राजनीतिक विश्लेषक पटेल कहते हैं कि कई मामलों में कांग्रेस के लिए यह साइलेंस फायदेमंद भी हो सकता है और नुकसानदायक भी। इसके फायदे गिनाते हुए कहते हैं कि कांग्रेस अपने उम्मीदवारों से लेकर अन्य जातिगत समीकरणों को आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी द्वारा तय किए गए प्रत्याशियों के लिहाज से देख रही है। ऐसे में संभव है कि पार्टी ने न सिर्फ प्रचार की गति को मद्धम किया है बल्कि आक्रामक तौर पर अभी भी गुजरात में नहीं उतर रहे हैं। जबकि नुकसान गिनाते हुए पटेल का कहना है कि चुनाव जिस तरीके से पीक पर पहुंच रहा है, उसमें एक बड़ी पार्टी का आक्रामकता के साथ मैदान में न पहुंचना जनता के बीच तमाम तरह के सवाल खड़े करता है। वरिष्ठ पत्रकार सरोज देसाई कहते हैं कि दरअसल गुजरात की राजनीति में आम आदमी पार्टी की मजबूती और असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री का मतलब कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी है। देसाई कहते हैं कि संभव है कांग्रेस अपने टूटे हुए वोट बैंक को संभालने और उसे अपने खाते में जोड़ने के लिए कुछ दूसरे स्तर से मजबूत कोशिश कर रही हो। यही वजह है कि कांग्रेस राजनीतिक दलों की तरह खुलकर मैदान में नहीं आ पा रही है। हालांकि देसाई का कहना है कि इतनी बड़ी राजनीतिक पार्टी की चुप्पी का मतलब तो निश्चित ही कुछ बड़ा होगा।

पीएम मोदी ने भी किया था आगाह

कांग्रेस की इस राजनैतिक चुप्पी पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बहुत सीरियस हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में आयोजित एक रैली में कांग्रेस की इस चुप्पी को लेकर बहुत सजग रहने के लिए भी अपने कार्यकर्ताओं से कहा था। मोदी ने कहा था कि कांग्रेस के लोग गांव-गांव पहुंच रहे हैं। उन्होंने आशंका जताई थी कि इतनी बड़ी पार्टी अब तक आखिर चुनावी मैदान में क्यों नहीं उतरी है। मोदी ने अपने कार्यकर्ताओं को अलर्ट रहते हुए मजबूती से चुनावी मैदान में भाजपा को जिताने के लिए आगे आने की अपील भी की थी। राजनीतिक विश्लेषक सरोज देसाई कहते हैं कि भाजपा के तमाम कद्दावर नेताओं की बड़ी रैलियां हो चुकी हैं। आम आदमी पार्टी ने माहौल बनाना शुरू कर दिया है। हैदराबाद से आए नेता असदुद्दीन ओवैसी स्थानीय स्तर पर अपने जातिगत समीकरणों को साधने गुजरात के चुनावी समर में कूद चुके हैं। उनका कहना है कि यह बात अलग है कि अभी तक गुजरात के चुनावों की तारीख घोषित नहीं की गई है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश के आने वाले चुनाव परिणाम के साथ ही गुजरात का भी चुनाव परिणाम घोषित होगा।हालांकि कांग्रेस गुजरात की चुनावी समर में चुप्पी पर पार्टी के नेताओं का अलग ही कहना है। गुजरात कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मनीष दोशी का कहना है कि ऐसा नहीं है कि गुजरात में कांग्रेस आक्रामक रूप से चुनाव प्रचार नहीं कर रही है। जोशी कहते हैं कि कांग्रेस के  लगातार बड़े नेताओं की रैलियां हो रही हैं। उनका कहना है कि सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कई जगहों पर जनसभाएं हुई हैं। जबकि मंगलवार को भी अशोक गहलोत कुछ जगहों पर जाएंगे। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मनीष दोशी का कहना है कि जल्दी गुजरात में कांग्रेस के कद्दावर नेता रैलियां भी करेंगे और चुनावी जनसभाओं के साथ पैदल यात्रा भी की जाएगी। गुजरात में पार्टी बहुत मजबूती के साथ शहर कस्बे और गांव स्तर पर मजबूत नेटवर्क के जरिए अपने चुनावी रथ को आगे बढ़ा रही है। उनका कहना है कि चुनाव में कांग्रेस की जनसभाएं और रैलियां धीरे-धीरे बढ़ती जाएंगी।

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