विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया आज भारत को सभी के लिए शांति, सुरक्षा और समृद्धि की आवाज के मानती है। उन्होंने कहा कि जब अंतरराष्ट्रीय मामले अभूतपूर्व और जटिल हो गए हैं, हमारी जन-केंद्रित विदेश नीति हमारे समाज की मांगों और आकांक्षाओं द्वारा निर्देशित होती है। आज, दुनिया मानती है कि जब भारत बोलता है, तो वह न केवल अपने लिए बोलता है, बल्कि सभी के लिए बोलता है। भारत सभी के लिए शांति, सुरक्षा और समृद्धि की आवाज के रूप में बोलता है। वैश्विक भलाई और स्थिरता के लिए एक ताकत के रूप में काम करते हुए, हमने अपने राष्ट्रीय हितों की भी दृढ़ता से रक्षा की है। गांधीनगर के लवाड में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में जयशंकर ने कहा, दुनिया अब भारत को विश्वसनीय और प्रभावी विकास भागीदार के रूप में देखती है। हमारा विकास साझेदारी पोर्टफोलियो अब 78 देशों तक फैला हुआ है और इन परियोजनाओं की पहचान यह है कि वे मांग आधारित, पारदर्शी, सशक्तिकरण उन्मुख ओर पर्यावरण के अनुकूल हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और डिजिटल प्रशासन में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का भी नेतृत्व कर रहा है। विदेश नीति और पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के बनने से लेकर अब तक कभी भी भारत के साथ संबंध सामान्य नहीं रहे हैं। भारत का रुख अब साफ है कि सीमा पार आतंक और बातचीज एक साथ नहीं हो सकती है। वहीं, अमेरिका और रूस का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी ताकतों के साथ संबंधों के लिहाज से भारत की कूटनीति सफल रही है। उन्होंने कहा, उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी दुनिया के साथ जुड़ते समय सुरक्षा भारत की रणनीति और कूटनीति में गहराई से अंतर्निहित है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए वे रिश्ते प्रासंगिक हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों के अनुकूल हैं। जलवायु परिवर्तन और भारत के भविष्य को लेकर उन्होंने कहा कि अगर हम हरित और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में निवेश करते हैं, तो बाहरी ऊर्जा जोखिमों से निपटने के लिए यह हमारे लिए एक कौशल और क्षमता होगी। उन्होंने कहा कि देश को अपने सुरक्षा हितों को देखते हुए ऊर्जा पर बाहरी निर्भरता कम करने पर गंभीरता से विचार करना होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जल सुरक्षा भी एक उभरता हुआ अहम मुद्दा है, जहां संचयन, उपयोग और संरक्षण पर देशभर में काम करने की जरूरत है।
चार गुना बढ़ा सीमावर्ती बुनियादी ढांचे का बजट