भारतीय शेयर बाजार के सबसे प्रचलित घोटाले के आरोपी स्टॉक ब्रोकर हर्षद मेहता की 30 दिसंबर 2001 की रात जेल में मौत हो गई थी। अब इस घटना के 20 साल से भी अधिक समय के बाद उनकी पत्नी ज्योति मेहता ने एक बड़ा एलान किया है। उन्होंने ठाणे जेल (जहां हर्षद मेहता की मौत हुई थी) के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उनके पति हर्षद मेहता को समय पर सही चिकित्सा उपलब्ध करवाने में लापरवाही बरती गई। साथ ही, हर्षद मेहता के परिवार ने उनके बारे में लोगों को तथ्यपरक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए https://www.harshadmehta.in नाम की एक वेबसाइट भी शुरू की है। वेबसाइट पर उनकी पत्नी ने लिखा है कि उनके घाव अब भी ताजा हैं और 20 साल बीतने के बाद भी उनका परिवार इस सदमे से उबर नहीं पाया है। परिवार का कहना है कि लोगों के बीच मीडिया और फिल्मों के कारण आज भी हर्षद मेहता और उसकी कहानी जिंदा है। ऐसे में, लोगों को उनकी कहानी की सच्चाई बताने के लिए यह वेबसाइट लांच की गई है। किसी जमाने में स्टॉक मार्केट के बिग बुल के नाम से मशहूर हर्षद मेहता की पत्नी ज्योति मेहता ने कहा है कि 30 दिसंबर, 2001 को रात में लगभग 11 बजे हमें हर्षद की मौत की खबर मिली। ठाणे जेल में 54 दिनों की हिरासत के बाद मेरे पति की अचानक दुखद रूप से मौत हो गई। वह 47 साल के थे और बिल्कुल स्वस्थ थे। हर्षद मेहता का दिल की बीमारी से जुड़ा कोई पिछला रिकॉर्ड भी नहीं था। ज्योति मेहता ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा है कि हम अपने दुश्मनों के लिए भी ऐसी सजा और इस तरह की दुखद मौत की कामना नहीं करते हैं। ज्योति मेहता ने वेबसाइट पर यह भी लिखा है जिस दिन हर्षद की मौत हुई उस दिन शाम के लगभग सात बजे ही हर्षद को दिल का पहला दौरा पड़ा था, पर जेल के अधिकारियों ने उनकी शिकायत को अनदेखा किया। हर्षद ने अपने छोटे भाई सुधीर को अपने दिल में असमान्य दर्द की सूचना दी, जो बगल के ही सेल में था। भाई ने हर्षद की आवाज तो सुनी लेकिन उसे देख नहीं पाया। ज्योति ने यह भी कहा है कि उस दिन हर्षद को दिल का दौरा पड़ने के बाद जेल के डॉक्टरों ने उनकी जांच की लेकिन उनके पास दिल का दौरा पड़ने से जुड़ी कोई दवा उपलब्ध नहीं थी। ज्योति के अनुसार, हर्षद ने खुद उनसे सोर्बिट्रेट (दवा) देने का अनुरोध किया, जो मैंने 54 दिन पहले उनकी गिरफ्तारी के समय एक इमरजेंसी किट में दी थी, जब उन्हें जेल की हिरासत में रखा गया था। उसी दवा के कारण लगभग 4 घंटे तक उनकी जान बची रही।
दिल का दौरा पड़ने पर चार घंटे तक नहीं पहुंचाया गया अस्पताल
ज्योति मेहता ने जेल के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर उन्होंने इस चार घंटे में उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया होता तो उनकी जान जान बच सकती थी। उन्होंने यह भी कहा कि परिवार का कोई भी सदस्य हर्षद मेहता के साथ अंतिम समय में नहीं था। ज्योति ने यह भी बताया कि रात 11 बजे, हर्षद को ठाणे अस्पताल में लंबी दूरी तक चलने के लिए मजबूर किया गया, जहां कार्डियोग्राम में दूसरे बड़े दिल का दौरा पड़ने की पुष्टि के बाद उन्होंने तुरंत व्हीलचेयर पर ही दम तोड़ दिया। ज्योति ने कहा कि बार-बार मांग किए जाने के बावजूद हर्षद के परिवार को न तो जांच रिपोर्ट और न ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट दी गई। वहीं, उनके भाई सुधीर (जो उसी जेल में उनके बगल की सेल में थे) को भी हर्षद को अस्पताल ले जाने के बारे में सूचना नहीं दी गई, उन्हें अगली सुबह उनके भाई की मौत के बारे में बताया गया था।