जेरोधा के संस्थापक नितिन कामत और निखिल कामत की सालाना वेतन को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। बताया जा रहा है कि दोनों को इस साल 72-72 करोड़ रुपये वेतन मिला है। यह जानकारी कंपनी ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) को दी है। इसके बाद कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के वेतन को लेकर बहस छिड़ गई है, क्योंकि कर्मचारियों के पास उनके वार्षिक पैकेज का एक अंश से भी कम है। वित्त वर्ष 2023 में स्टार्ट-अप कंपनियों में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले कामत भाई हैं। यह लोग शीर्ष स्थान पर हैं, जबकि ओयो के सीईओ रितेश अग्रवाल 12 करोड़ रुपये के वार्षिक वेतन के साथ दूसरे स्थान पर हैं। वहीं दो साल पहले, नितिन और निखिल कामत दोनों का वेतन 100 करोड़ रुपये था। तब भी विवाद हुआ था, जिसके बाद नितिन ने एक स्पष्टीकरण जारी किया था। उन्होंने बताया था कि यह जानकारी गलत है। उन्हें इतना वेतन नहीं मिला था। कामत भाइयों ने जेरोधा में निदेशक के रूप में 100 करोड़, जबकि सीईओ नितिन की पत्नी सीमा पाटिल ने 36 करोड़ रुपये कमाए थे। एक रिपोर्ट के अनुसार, फाउंडर्स के अलावा जेरोधा अपने कर्मचारियों की सैलरी पर वित्त वर्ष 2023-24 में 380 करोड़ रुपये तक खर्च किए हैं। इसमें डायरेक्टर का वेतन भी शामिल है। वित्त वर्ष 2023 में कंपनी ने कर्मचारियों पर कुल 623 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वहीं वित्त वर्ष 2022 में यह खर्च 459 करोड़ रुपये था। इन 623 करोड़ में से 236 करोड़ रुपये कर्मचारियों को मिलने वाले ESOPs पर खर्च किया गया है।
डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म है जेरोधा
जेरोधा एक डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म है, जो खुदरा और इंस्टीट्यूशनल दोनों ही तरह की ब्रोकिंग सेवाएं देती है। इसके अतिरिक्त यह म्यूचुअल फंड, कमोडिटी और बॉन्ड में निवेश की भी सुविधा देती है। इसकी स्थापना साल 2010 में हुई थी। जेरोधा काफी कम शुल्क में निवेशकों को शेयर खरीदने और बेचने की सुविधा देती है। ग्राहकों की संख्या के लिहाज से यह देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म है। इसका मुख्यालय बंगलूरू में है। महामारी के दौरान कंपनी का खुदरा आधार 20 लाख से 50 लाख बढ़ा है। साल 2021 में नितिन कामत ने बताया था कि जेरोधा के बोर्ड ने उन्हें और उनके भाई को आखिर 100 करोड़ रुपये वेतन देने के लिए क्यों मंजूरी दी थी। उन्होंने दावा किया था कि वास्तविक में उन्हें मिला वेतन यह नहीं बल्कि इसका आधे से ज्यादा हिस्सा टैक्स का है। कामत ने बताया था कि बताया गया आंकड़ा सही नहीं है। इस तरह की खबरें भ्रामक थी और कंपनी के फैसले का गलत मतलब निकाला जा रहा है। उन्होंने वेतन पर सफाई देते हुए कहा था कि 100 करोड़ रुपये उनका असल वेतन नहीं है, जो उनके अकांउट में आती है बल्कि कंपनी का प्रमोटर नकदी की जरूरत होने या किसी तरह के जोखिम के दौरान 100 करोड़ रुपये का वेतन ले सकता है। उन्होंने कहा कि उम्मीद नहीं थी कि इस पर इतना ध्यान दिया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा था कि सच ये है कि जो वेतन मिलेगा वो इस बताए गए आंकड़े से कम होगी, फिर भी ब्रोकरेज फर्मों से संबंधित डी रिस्किंग के कारण ये मानदंड से ज्यादा होगा। उन्होंने कहा था कि जबकि वास्तविक वेतन कम होगा। प्रमोटर सैलरी के जरिए लाभ नहीं निकालते हैं क्योंकि इस पर टैक्स भी लगता है और टैक्स में करीब 50 प्रतिशत का भुगतान करते हैं। इस बारे में पहले भी लिखा था।
जेरोधा के संस्थापक की सैलरी का हुआ खुलासा, इस साल मिला इतना वेतन; दो साल पहले विवाद पर कही थी ये बात
84