#BREAKING LIVE :
मुंबई हिट-एंड-रन का आरोपी दोस्त के मोबाइल लोकेशन से पकड़ाया:एक्सीडेंट के बाद गर्लफ्रेंड के घर गया था; वहां से मां-बहनों ने रिजॉर्ट में छिपाया | गोवा के मनोहर पर्रिकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरी पहली फ्लाइट, परंपरागत रूप से हुआ स्वागत | ‘भेड़िया’ फिल्म एक हॉरर कॉमेडी फिल्म | शरद पवार ने महाराष्ट्र के गवर्नर पर साधा निशाना, कहा- उन्होंने पार कर दी हर हद | जन आरोग्यम फाऊंडेशन द्वारा पत्रकारो के सम्मान का कार्यक्रम प्रशंसनीय : रामदास आठवले | अनुराधा और जुबेर अंजलि अरोड़ा के समन्वय के तहत जहांगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शन करते हैं | सतयुगी संस्कार अपनाने से बनेगा स्वर्णिम संसार : बीके शिवानी दीदी | ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आरती त्रिपाठी हुईं सम्मानित | पत्रकार को सम्मानित करने वाला गुजरात गौरव पुरस्कार दिनेश हॉल में आयोजित किया गया | *रजोरा एंटरटेनमेंट के साथ ईद मनाएं क्योंकि वे अजमेर की गली गाने के साथ मनोरंजन में अपनी शुरुआत करते हैं, जिसमें सारा खान और मृणाल जैन हैं |

‘ट्रंप की नीतियों से खुल सकते हैं भारत के रक्षा क्षेत्र में नए अवसर’, मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट

24

भारत-अमेरिका के बीच बड़ी व्यापारिक साझेदारी है। अहम सवाल यह कि डोनाल्ड ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी कितनी मधुर रहेगी। यह इसलिए क्योंकि अमेरिका की व्यापार नीति दोनों देशों के संबंधों की असल परीक्षा है। ट्रंप, अमेरिका फर्स्ट की नीति पर अमल करते हैं और इसके लिए वह दोस्ती में भी समझौता नहीं करते हैं। हालांकि, एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका फर्स्ट व्यापार नीति के वैश्विक व्यापार और भूराजनीति पर दूरगामी प्रभाव होंगे। मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह नीति दुनिया भर के निर्यातकों के लिए मिले-जुले नतीजे लेकर आई है क्योंकि इसे विशेष रूप से चीन से आयात को कम करके अमेरिकी विनिर्माण को प्राथमिकता देने के लिए तैयार किया गया है। भारत के लिए, ट्रंप की नीतियां अवसर और चुनौतियां दोनों पेश करती हैं। इंडो-पैसिफिक रक्षा रणनीति अमेरिका-भारत सहयोग को मजबूत कर सकती है, जिससे फार्मास्यूटिकल्स और रक्षा जैसे क्षेत्रों में भारतीय व्यवसायों के लिए द्वार खुल सकते हैं।

अमेरिका-भारत सहयोग मजबूत होगा
आगे कहा गया है कि फार्मास्यूटिकल्स और रक्षा जैसे क्षेत्रों में भारतीय व्यवसायों को भी नए अवसर मिल सकते हैं। खासकर अगर अमेरिका-भारत सहयोग मजबूत होता है। उभरते बाजारों को चुनौतियों और अवसरों का मिला-जुला सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, अमेरिका में कॉर्पोरेट कर में कटौती से आईटी खर्च में बढ़ोतरी हो सकती है। इससे भारत के आईटी क्षेत्र को लाभ होगा। हालांकि, मजबूत डॉलर और भारतीय निर्यात पर संभावित टैरिफ से भारत के व्यापार संतुलन पर असर पड़ सकता है। एक और महत्वपूर्ण चिंता अमेरिकी निर्यात पर बढ़े हुए टैरिफ का प्रभाव है। कृषि और प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख उद्योगों को वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धात्मकता खोने का जोखिम है यदि व्यापारिक साझेदार जवाबी टैरिफ लगाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शुल्क वृद्धि से व्यापार साझेदारों की ओर से जवाबी कार्रवाई की संभावना बढ़ सकती है, जिससे कृषि और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी निर्यातक प्रभावित हो सकते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पुनर्गठन में आशा की किरण दिखाई दे सकती है। खासकर, एआई और सेमीकंडक्टर जैसे प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में, जो चीन+1 रणनीति से प्रेरित है। उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ (ईयू) अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क लगा सकता है, जिससे ऑटोमोटिव और स्टील उद्योग को नुकसान हो सकता है। ये उपाय न केवल यूरोप में विकास को धीमा कर सकते हैं, बल्कि वैश्विक व्यापार पैटर्न को भी बाधित कर सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार,  उभरते बाजारों को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। जहां उच्च टैरिफ और मजबूत डॉलर से आईटी और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों के लिए निर्यात लागत बढ़ सकती है, वहीं मैक्सिको जैसे कुछ देशों को विनिर्माण को आकर्षित करने से लाभ होगा जो अन्यथा चीन में ही रह सकता है। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भू-राजनीतिक रूप से, ट्रंप के दृष्टिकोण से चीन के साथ तनाव बढ़ने और गठबंधनों को नया स्वरूप मिलने की संभावना है।