क्रूज ड्रग्स पार्टी केस में अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की जमानत याचिका पर मुंबई के सेशंस कोर्ट में गुरुवार को फिर से सुनवाई हुई। जिसके बाद जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला 20 अक्टूबर तक सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि आर्यन खान की ओर से अमित देसाई और सतीश मानशिंदे, जबकि एनसीबी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) अनिल सिंह ने दलीलें पेश की।
20 अक्टूबर तक जेल में रहेंगे आर्यन
बता दें कि आर्यन खान को एक बार फिर से अगले कुछ दिन जेल में ही बिताने पड़ेंगे। अभी तक जहां आर्यन की याचिका खारिज हो जाती थी तो वहीं इस बार आर्यन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा गया है। 20 अक्टूबर को आर्यन केस में फैसला सुनाया जाएगा। यानी 6 दिनों तक आर्यन खान समेत अन्य आरोपी जेल में ही रहेंगे।
लंबे वक्त से ड्रग्स ले रहे आर्यन
अदालत में सुनवाई के दौरान अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा, ‘आर्यन खान ने पहली बार ड्रग्स का सेवन नहीं किया है बल्कि लंबे समय से लेते रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड और सूबतों के आधार पर ऐसा कहा जा सकता है कि वह बीते कई सालों से प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन करते रहे हैं। इसके साथ ही अनिल सिंह ने कहा कि अरबाज खान के पास से ड्रग्स मिला है और पंचनामा में इसका साफतौर पर जिक्र किया गया है। यह आर्यन और अरबाज के सेवन के लिए ही था।
कानून की नजर में सभी बराबर
वहीं आर्यन खान की ओर से वकील अमित देसाई ने अनिल सिंह के रिया चक्रवर्ती के जिक्र वाले बयान पर कहा, ‘वे (अनिल सिंह) मानते हैं कि सेलिब्रिटीज और रोल मॉडल्स के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए क्योंकि वो समाज पर एक प्रभाव रखते हैं। लेकिन इस बारे में हाई कोर्ट क्या कहता है? मैं सहमत नहीं। मैं न्यायधीश महोदय से निवेदन करता हूं कि कानून के मुताबिक फैसला लें, क्योंकि कोई भी सेलेब कानून की नजर में अलग नहीं होता है, ऐसे में सभी को समान नजर से देखना चाहिए।’
आरोपियों को अलग करके नहीं देख सकते
इसके साथ ही सुनवाई में अनिल सिंह ने कहा, ‘NDPC एक्ट के तहत आरोपियों को अलग करके नहीं देख सकते। भले ही आपके पास ड्रग्स मिला हो या फिर न मिला हो या मामूली मात्रा ही पाई गई हो। आप यह कहकर नहीं बच सकते कि आपके पास कुछ भी नहीं मिला था। हमने कमर्शियल क्वांटिटी में ड्रग्स एक आरोपी के पास से बरामद किया है। इस मामले में कुल 20 लोगों को अरेस्ट किया गया है। इस मामले में साजिश रची गई थी, ऐसे में आरोपियों को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता।’