गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में कक्षा एक में दाखिले के लिए न्यूनतम आयु सीमा छह साल तय करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। अदालत ने कहा कि जो माता-पिता तीन साल से कम उम्र में बच्चों को प्री-स्कूल में जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं, वे ‘गैरकानूनी काम’ कर रहे हैं। राज्य सरकार ने एक जनवरी, 2023 को अधिसूचना जारी की थी। इसमें शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में कक्षा एक में प्रवेश के लिए आयु सीमा छह साल निर्धारित की गई थी। एक जून, 2023 तक छह साल पूरे न करने वाले बच्चों के माता-पिता के एक समूह ने इस अधिसूचना को चुनौती दी थी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की खंडपीठ ने कहा, तीन साल से कम उम्र के बच्चों को प्री-स्कूल में जाने के लिए मजबूर करना माता-पिता की ओर से एक अवैध कार्य है, जो हमारे सामने याचिकाकर्ता हैं। पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता किसी भी तरह की नरमी की मांग नहीं कर सकते, क्योंकि वे शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 का उल्लंघन करने के दोषी हैं। आरटीई नियम, 2012 के नियम आठ का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि कोई भी प्री-स्कूल ऐसे बच्चे को दाखिला नहीं देगा, जिसने वर्ष के एक जून तक तीन साल की उम्र पूरी न की हो। अदालत ने कहा, नियम आठ के अवलोकन से पता चलता है कि प्री-स्कूल में उस एक बच्चे के प्रवेश के लिए निषेध है, जिसने शैक्षणिक वर्ष के लिए एक जून तक तीन साल की उम्र पूरी नहीं की है। एक प्री-स्कूल शुरुआती बचपन की देखभाल और शिक्षा के तीन साल बाद एक बच्चे को औपचारिक स्कूल में पहली कक्षा में दाखिला लेने के लिए तैयार करता है।
‘तीन साल से कम आयु के बच्चों को प्री-स्कूल भेजना गैरकानूनी काम’, गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
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