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‘दुनिया में कर्ज का बढ़ना चिंता की बात’, आरबीआई गवर्नर बोले- इससे निपटने के लिए साझा प्रयास हों

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भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दुनिया को बढ़ते वैश्विक कर्ज के बारे में आगाह किया है, जो 2024 में वैश्विक जीडीपी के 333 प्रतिशत के बराबर, 315 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ गया है। सिंगापुर में शुक्रवार को ‘फ्यूचर ऑफ फाइनेंस फोरम 2024’ में बोलते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर दास ने कहा कि कर्ज का यह अभूतपूर्व स्तर विशेष रूप से उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) और निम्न से मध्यम आय वाले देशों के लिए बड़ा जोखिम पैदा करता है। ऐसे देश वित्तीय अस्थिरता के प्रति तेजी से कमजोर होते जा रहे हैं। दास ने कहा, निम्न आय और कुछ मध्यम आय वाले देश बहुत कमजोर हैं। उच्च स्तर के कर्ज और उच्च ब्याज दरों का सह-अस्तित्व सरकारी और निजी क्षेत्र की बैलेंस शीट की हानि के माध्यम से वित्तीय अस्थिरता के दुष्चक्र को बढ़ावा दे सकता है।” उन्होंने कहा कि मौजूदा राजकोषीय परिदृश्य बढ़ते राजकोषीय घाटे से और जटिल हो गया है, जो अब महामारी से पहले के स्तर से अधिक है। दास ने कहा कि 2024 में 88 अर्थव्यवस्थाएं चुनावी चक्र में प्रवेश कर रही हैं, ऐसे में राजकोषीय समेकन की गुंजाइश सीमित प्रतीत होती है। इससे विभिन्न देशों के लिए वित्तीय जोखिमों को बढ़ने से बचाने के लिए अपने ऋण का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना महत्वपूर्ण हो जाता है। RBI गवर्नर ने यह भी बताया कि चल रहे भू-राजनीतिक तनाव और आपूर्ति शृंखला व्यवधानों ने निवेशकों के बीच जोखिम से बचने की प्रवृत्ति को बढ़ा दिया है, जिससे सीमा पार व्यापार प्रतिबंध बढ़ गए हैं। आरबीआई गवर्नर ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में बढ़ रही चुनौतियों के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया। उन्होंने साझा वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDB) को मजबूत करने की वकालत की। उन्होंने सतत आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता प्राप्त करने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व को भी रेखांकित किया। आरबीआई गवर्नर दास ने राष्ट्रों से सभी के लिए एकीकृत भविष्य की दिशा में काम करने का आग्रह किया।