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दूर-दराज से पहुंचते दून के रुद्रेश्वर महादेव मंदिर में भक्त, महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास

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दून का रुद्रेश्वर महादेव मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है। मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि मंदिर में सच्चे मन से पूजा करने पर भगवान शिव भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। मंदिर में द्वादश शिवलिंग है। यहां पूजा अर्चना करने के लिए दूर-दराज से भक्त पहुंचते हैं। दून के रायपुर रोड स्थित नालापानी तपोवन में ऐतिहासिक रुद्रेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। इसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यहां गुरु द्रोणाचार्य ने पांडव और कौरवों को शिक्षा दी थी। उन्होंने ही यहां शिवलिंग स्थापित किए थे। इसके बाद से ही भक्त बड़ी संख्या में लगातार पहुंचकर दर्शन करते है।
भगवान शिव की करते हैं भक्त यहां अराधना
सावन मास और फाल्गुन मास में यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते है और भगवान शिव की भक्ति करते हैं। मान्यता है कि मंदिर में भगवान शिव की अराधना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है। मंदिर की धर्म गिरी माई ने बताया कि रुद्रेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। यहां द्रोणाचार्य ने ही शिवलिंंग की स्थापना की थी। गुरु द्रोणाचार्य के नाम पर ही रुद्रेश्वर महादेव मंदिर का नाम जुड़ा है। महंत आशीष गिरी ने बताया कि मंदिर परिसर में चार रुद्राक्ष के पेड़ हैं। रुद्रेश्वर महादेव में सच्ची श्रद्धा से शिव का चिंतन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। शांत वातावरण में भक्त यहां आकर भगवान शिव की अराधना करते है। महंत आशीष गिरी बताते है कि मंदिर में पहले एकादश शिवलिंग थे। यहां शिवलिंग के बीच में एक रुद्राक्ष का पेड़ स्थित था। जो काफी समय होने के कारण सूखने के चलते टूट गया था। इसके बाद उसकी जगह पर एक ओर शिवलिंग स्थापित किया गया था। ऐसे ही मंदिर में एकादश की जगह द्वादश शिवलिंग स्थापित है। महंत आशीष गिरी ने बताया कि रुद्रेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर भव्य आयोजन होंगे। यहां इससे पहले ही शिवपुराण कथा और रुद्राभिषेक शुरु हो जाएंगे। इसके साथ ही आठ मार्च को मंदिर में मेले का भव्य आयोजन किया जाएगा। इसके बाद दस मार्च को मंदिर में भंडारा होगा। रुद्रेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव के मंदिर के साथ ही अन्य 14 मंदिर स्थापित हैं। भक्त यहां आकर भगवान शिव के साथ ही प्रभु के दर्शन करते है। महंत बताते है कि मंदिर में श्रीराम, हनुमान जी, माता सरस्वती के साथ ही 14 मंदिर स्थापित है।