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देश का पहला निजी हिल स्टेशन लवासा 1814 करोड़ में बिका, एनसीएलटी ने दी मंजूरी

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नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने भारत के पहले निजी हिल स्टेशन लवासा को डार्विन प्लेटफॉर्म इंफ्रास्ट्रक्चर को बेचने की मंजूरी दे दी है। एनसीएलटी के आदेश में प्रस्तुत समाधान योजना को डार्विन के कर्जदाताओं की ओर से हरी झंडी मिलने बाद एनसीएलटी ने लवासा को बेचने की मजूरी दी है। राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने निजी हिल स्टेशन लवासा के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू होने के लगभग पांच साल बाद 1,814 करोड़ रुपये की समाधान योजना को मंजूरी दी है। इसमें आठ वर्षों में 1,814 करोड़ रुपये के भुगतान की परिकल्पना की गई है। इस समाधान योजना में कर्जदाताओं को 929 करोड़ रुपये और घर खरीदारों को पूरी तरह से निर्मित घरों को मुहैया कराने पर 438 करोड़ रुपये खर्च करना शामिल है। 837 होमबायर्स ऐसे हैं जिनके दावे स्वीकार कर लिए गए हैं। उनके स्वीकार किए गए दावों में कुल 409 करोड़ रुपये हैं। कंपनी ने कर्जदाताओं और परिचालन कर्जदाताओं सहित कुल 6,642 करोड़ रुपये का दावा स्वीकार किया है। डार्विन प्लेटफॉर्म इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (डीपीआईएल) लवासा कॉरपोरेशन लिमिटेड के लिए विजेता बोलीदाता बनी है। यह कंपनी मुख्य रूप से पुणे में निजी हिल स्टेशन के व्यवसाय में है। न्यायाधिकरण ने शुक्रवार को पारित 25 पेज के आदेश में 1,814 करोड़ रुपये के निवेश की समाधान योजना को मंजूरी दी। आदेश में कहा गया, ‘इस राशि में 1,466.50 करोड़ रुपये की समाधान योजना राशि शामिल है, जिससे कॉरपोरेट कर्जदार को किश्तों में दिए गए धन के लिए भुगतान किया जाएगा।’ समाधान योजना को एक निगरानी समिति की देखरेख में लागू किया जाएगा। इस समिति में दिवाला पेशेवर, वित्तीय ऋणदाता और डार्विन प्लेटफॉर्म का एक-एक प्रतिनिधि शामिल होगा। एनसीएलटी ने कहा, “समाधान योजना संहिता के साथ ही विनियमनों के तहत सभी जरूरी वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करती है। हम इसे मंजूरी देते हैं।” दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत दिवाला समाधान प्रक्रिया अगस्त 2018 में शुरू की गई थी।

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