संसद के बजट सत्र के आखिरी दिन राम मंदिर का मुद्दा छाया रहा। इस दौरान शनिवार को संसद के उच्च सदन राज्यसभा में जगदीप धनखड़ ने राम मंदिर पर एक प्रस्ताव पढ़ा और कहा कि 22 जनवरी को प्राचीन और पवित्र शहर अयोध्या में राम मंदिर का उद्धाटन पूरे देश में उत्सव का दिन बन गया था। नागरिकों ने 22 जनवरी को राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाया। गौरतलब है कि राम मंदिर पर राज्यसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी शनिवार को चर्चा की गई।
प्रधानमंत्री ने अनुष्ठान के कड़े नियमों का पालन किया
उच्च सदन में प्रस्ताव पढ़ते धनखड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को पूरे देश को एकजुट करने में अनुकरणीय भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान के कड़े नियमों का पूरी निष्ठा से पालन किया। राम मंदिर का उद्घाटन एक भारत श्रेष्ठ भारत का उत्तम प्रतीक है। ऐतिहासिक क्षण को साकार करने में सरकार ने बड़ी भूमिका निभाई। भगवान राम का मंदिर भारत के लिए एक एतिहासिक और गौरवशाली उपलब्धि है। राम मंदिर सांस्कृतिक और एतिहासिक दृष्टि के साथ-साथ देश की प्रगति का हिस्सा भी है। धनखड़ ने सदन में आगे कहा कि भगवान राम और माता सीता भारतीय समाज, संस्कृति और सभ्यता का अभिन्न अंग हैं। मंदिर लोगों की आस्था और भक्ति का प्रतीक है। 22 जनवरी भारत के इतिहास का वह दिन है, जिसने देश के कोने-कोने में अपार हर्ष और उत्साह से भर दिया है। दुनिया भर की अलग-अलग संस्कृतियों में भगवान राम मौजूद हैं। भारत के साथ-साथ पूरे विश्व में आस्था का समंदर दिखाई दिया। लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने राम मंदिर के संघर्ष की कहानी बताई। उन्होंने कहा कि 2014 से 2019 तक लंबी कानूनी लड़ाई चली। निहंगों ने लड़ाई शुरू की थी। आडवाणी जी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए यात्रा निकाली, जनजागृति फैलाई। अशोक सिंघल जी इसे चरम सीमा पर ले गए और आखिर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी जी ने जनआकांक्षा की पूर्ति की। कोई एक देश अपने बहुसंख्यक समाज की धार्मिक विश्वास की पूर्ति के लिए धैर्य रखकर सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाता रहे, यह बात देश के लोकतांत्रिक इतिहास में लिखी जाएगी।