भारतीय सेना एक पूर्व मुस्लिम सैनिक पीपी चेरियाकोया ने धार्मिक सद्भाव की मिसाल पेश की है। उन्होंने लक्षद्वीप में विभिन्न हिंदू देवताओं की मूर्तियां बनाई हैं। चेरियाकोया ने 1971 की जंग में भी हिस्सा लिया था। बाद में वह एक पेशेवर कलाकार बन गए और उन्होंने कला शिक्षक के रूप में भी काम किया। 1970 के दशक में मध्य प्रदेश विशेष बल ने चेरियाकोया (79 वर्षीय) से मूर्ति बनाने का आग्रह किया था। जिसके बाद उन्होंने ने अंदरोत द्वीप में भगवान हनुमान और कवरत्ती द्वीप में भगवान गणेश की मूर्ति बनाई। चेरियाकोया कहते हैं, ‘1972 में मध्य प्रदेश विशेष बल के जवान पूजा करना चाहते थे। उन्होंने मुझसे भगवान हनुमान की मूर्ति बनाने का अनुरोध किया और मैंने यह काम खुशी-खुशी किया। इसी तरह, मैंने कवरत्ती से अनुरोध मिलने के बाद भगवान गणेश की मूर्ति बनाई।’ वह आगे बताते हैं, ‘मैंने मूर्तिकला कहीं स्कूल में नहीं सीखी ही। बल्कि मेरे पिता नक्काशी करते थे और मैंने उन्हें देखकर ही यह काम सीखा। मुझे पेटिंग से ज्यादा नक्काशी करने में मजा आता है।’ लक्षद्वीप प्रशासन में विशेष सचिव शैलेंद्र सिंह परिहार कहते हैं, ‘चेरियाकोया ने धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने में योगदान दिया है।’ उन्होंने कहा, ‘कवरत्ती लक्षद्वीप की राजधाी है और केवल एक हिंदू मंदिर है। 1978 में कवरत्ती मंदिर मध्य प्रदेश अर्द्धसैनिक बल ने बनाया था। उन्होंने अंदरोत में भगवान हनुमान की मूर्ति भी बनाई। उन्होंने द्वीप में धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने में योगदान दिया है, जहां सभी धर्मों के लोग शांति से रहते हैं।’ मंदिर के पुजारी चितरंजन मिश्रा ने भी चेरियाकोया को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया। मिश्रा भी भारतीय रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के जवान थे। जो कवरत्ती में एक पुजारी के रूप में काम करते हैं। वह बताते हैं, मंदिर का उद्घाटन 1978 में मध्य प्रदेश विशेष बल ने किया था। हम सभी त्योहार मनाते थे। गणेश की मूर्ति चेरियाकोया ने बनाई थी, क्योंकि उस समय वहां कोई और मूर्तिकार मौजूद नहीं था। हालांकि उन्होंने ये मूर्तियां स्वेच्छा से बनाईं।
धार्मिक सौहार्द की मिसाल हैं ये रिटायर्ड मुस्लिम सैनिक; बना रहे देवी-देवताओं की मूर्तियां
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