शत्रुघ्न घाट से स्वर्गाश्रम स्थित नावघाट तक मोटर बोट के संचालन में जमकर उड़ाई जा रहीं मानकों की धज्जियां
टिहरी और पौड़ी जनपद की दोनों सीमाओं में आने जाने के लिए मुनि की रेती स्थित शत्रुघ्न घाट से स्वर्गाश्रम स्थित नावघाट तक मोटर बोट का संचालन होता है। दोनों जनपद से जुड़े होने के कारण तीन साल इसका संचालन जिला पंचायत टिहरी और तीन साल संचालन जिला पंचायत पौड़ी करता है। पर्यटकों की सुरक्षा के लिए मानक निर्धारित किए जाते हैं। लेकिन यहां मोटर बोट संचालक पर्यटकों को बिना लाइफ जैकेट पहनाए ही गंगा पार करा रहे हैं। पर्यटक स्थल होने के कारण मुनि की रेती और लक्ष्मणझूला-स्वर्गाश्रम क्षेत्र में रोजाना सैकड़ों की तादाद में देशी-विदेशी पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है। टिहरी और पौड़ी की सीमा में आने जाने के लिए बीच में गंगा है। कई लोग रामझूला और जानकीसेतु का इस्तेमाल करते हैं। कई बुजुर्ग और असहाय लोग मोटर बोट का सहारा लेते हैं। नियम के अनुसार मोटर बोट में बैठने से पहले पर्यटकों को सुरक्षा के लिए लाइफ जैकेट पहनाया जाता है। अधिकारी समय-समय पर इन लाइफ जैकेट की गुणवत्ता की जांच करते हैं। यहां अभी की स्थिति यह है कि बोट संचालक पर्यटकों को बोट में बैठाने से पहले उन्हें लाइफ जैकेट पहनाते ही नहीं हैं। जैकेट को बोट के किनारे लटकाए रहते हैं। यह लटकती जैकेट भी पूरी तरह से असुरक्षित हैं। अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में बोट संचालक भी पर्यटकों को इन जैकेट को पहनाने की जहमत तक नहीं उठाते हैं।
चार दशक से ही एक संचालक ने संभाली है मोटर बोट की जिम्मेदारी
वर्ष 1980 से लेकर अब तक एक ही बोट संचालक इसकी जिम्मेदारी संभाल रहा है। जबकि हर तीन साल में गंगा में बोट के संचालन की टेंडर प्रक्रिया होती है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जब रामझूला नहीं था तब स्थानीय आश्रमों की ओर से एक छोर से दूसरी छोर जाने के लिए बोट का संचालन किया जाता था। तब आश्रम की यह बोट निशुल्क थी। वर्ष 1980 में इस पर टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई। तीन साल इसकी जिम्मेदारी टिहरी और तीन साल इसकी देखरेख पौड़ी प्रशासन करता है।