शिवसेना (उद्धव गुट) बनाम शिवसेना (शिंदे गुट) विवाद में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट से उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि उनकी सरकार बहाल नहीं कर सकते, क्योंकि उन्होंने स्वैच्छिक इस्तीफा दे दिया था। कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि महाराष्ट्र में शिंदे सरकार बनी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि पुरानी स्थिति बहाल नहीं कर सकते, उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। ऐसे में उनको बहाल नहीं कर सकते। उद्धव ठाकरे गुट की नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिंदे गुट को आड़े हाथों लिया है। अमर उजाला डिजिटल से चर्चा करते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि शिवसेना शिंदे गुट का व्हिप गैरकानूनी है। सबकी (शिंदे गुट) सदस्यता निरस्त हो जाएगी। मौजूदा सरकार गैरकानूनी है और संविधान के खिलाफ बनाई गई है। उन्होंने कहा कि व्हिप जारी करने से लेकर मुख्य सचेतक की नियुक्ति और फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाने तक सब कुछ अवैध माना जाता है, तो फिर क्या कानूनी है। शिंदे और फडणवीस और उनके लोगों को अब मिठाई नहीं बांटनी चाहिए। खुशी नहीं माननी चाहिए। एकनाथ शिंदे की सरकार एक अवैध सरकार हैं। यदि शिंदे और फडणवीस में थोड़ी नैतिकता बची है, तो उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। सांसद प्रियंका कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट में जो याचिकाएं थीं, वह फिर से अध्यक्ष के पास जाएंगी लेकिन मुख्य सचेतक सुनील प्रभु होंगे क्योंकि दूसरे मुख्य सचेतक को अयोग्य ठहराया गया है, इसका मतलब है कि जो व्हिप सुनील प्रभु ने जारी किया था, जिसका उल्लंघन हुआ है वह रिकॉर्ड पर है और इसकी जल्द सुनवाई होगी और इन लोगों (शिंदे गुट) की सदस्यता निरस्त होगी। वर्तमान स्पीकर के देरी से फैसला लेने के सवाल पर प्रियंका कहती हैं कि अगर वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता के फैसले को टालते हैं तो शिंदे सरकार की और सच्चाई सामने आएंगी। इन लोगों को केवल सत्ता का भोग चाहिए। कोर्ट का फैसला संविधान की जीत है। जल्द हम लोग हमारे नेता उद्धव ठाकरे के साथ बैठक करेंगे। इसके बाद ही आगे पार्टी क्या रणनीति अपनाती है, इस पर निर्णय लिया जाएगा। पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत कर दी थी, जिससे उद्धव ठाकरे की पार्टी टूट गई थी। जिसके परिणामस्वरूप महाविकास अघाड़ी की सरकार गिर गई थी और उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। महाविकास अघाड़ी की सरकार तत्कालीन शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर चला रही थी। बाद में एकनाथ शिंदे ने भाजपा से गठबंधन कर सरकार गठन का फैसला लिया। इसके बाद, 30 जून 2022 को एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। एकनाथ शिंदे के सीएम बनने के फैसले ने महाराष्ट्र में सभी को चौंकाकर रख दिया। जब ये बात तय हो गई कि शिंदे और भाजपा मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं, तब देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा थी। लेकिन ‘आखिरी समय’ में महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी एकनाथ शिंदे को मिली और देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम के पद से संतोष करना पड़ा था।
प्रियंका चतुर्वेदी बोलीं- महाराष्ट्र सरकार असंवैधानिक, शिंदे गुट के विधायकों की जाएगी सदस्यता
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