बंगलूरू के दो कॉलेज छात्र टाइफाइड से जूझने के बावजूद 60 से अधिक दिनों तक साइकिल चलाकर 3,200 किलोमीटर की दूरी तय कर 24वें कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए युद्ध स्मारक पहुंचे। मानसून के कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से गुजरकर उन्होंने इस दूरी को पूरा किया। कारगिल में शहीद हुए आर्मी कैप्टन विजयंत थापर की वीरता से प्रभावित होकर दोनों छात्रों ने इस यात्रा की शुरुआत की। रमैय्या कॉलेज के बीबीए के छात्र कृष्णन और सेंट जोसेफ यूनिवर्सिटी के बीकॉम के छात्र पेद्दी साई कौशिक एनसीसी के कैडट हैं। दोनों छात्रों का लक्ष्य डिफेंस सर्विस परीक्षा को पास कर सेना में भर्ती होने का है। कृष्णन ने मीडिया से कहा, ‘हमने यह यात्रा मई में शुरू की थी और विजय दिवस के दो दिन पहले 24 जून को हम कारगिल वॉर मेमोरियल पहुंचें। इस यात्रा में हमें दो महीने का समय लगा है। सफर मुश्किल था, लेकिन यहां पहुंचने के बाद काफी अच्छा महसूस हुआ।’ उन्होंने कहा, ‘जैसे ही हम पंजाब पहुंचे, तब तक बाढ़ आ गई थी। हमें लगा कि हम अब नाकाम हो जाएंगे। इस यात्रा के दौरान मेरे मित्र को टाइफाइड भी हो गया था। मेरे साथ भी एक दुर्घटना घटी, इस वजह से हमे कुछ दिनों के लिए आराम भी करना पड़ा।’ हालांकि द्रास पहुंचते ही दोनों ही छात्रों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्हें विजय दिवस पर पुष्पांजलि समारोह में शामिल होने के लिए पास दिया गया और उनका सम्मान भी किया गया। दोनों छात्रों ने कन्याकुमारी-श्रीनगर हाईवे से यात्रा की। उन्होंने मानसून से पहले तक पहुंचने की उम्मीद जताई थी। साई कौशिक ने बताया, ‘नए साल में मैने कैप्टन विजयंत थापर के बारे में एक किताब पढ़ी। कारगिल में शहीद हुए कैप्टन थापर की कहानी ने मुझे काफी ज्यादा प्रेरित किया। उन्हें वीर चक्र से भी सम्मानित किया गया था। मैंने अपने परिवार से ऐसे ही पांच अन्य जवानों के बारे में पूछा, जिन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वे एक भी नाम नहीं बता पाएं। मैंने जब अपने दोस्तों से पूछा, तो वे भी चुप थे।’ उन्होंने कहा, ‘इसके बाद मुझे यह एहसास हुआ कि हमारे देश के लिए शहीद होने वाले योद्धाओं सिर्फ एक या दो दिन ही ध्यान देने के अलावा उनके लिए लोगों को जागरूक भी करना चाहिए।’ भारतीय सेना को द्रास, कारगिल और बटालिक सेक्टरों में भी खराब मौसम के बीच चुनौतिपूर्ण स्थिति में भी दुश्मनों से लड़ते हुए देखा गया है। कारगिल विजय दिवस पाकिस्तान पर भारत की जीत को चिन्हित करने के लिए मनाया जाता है।
बंगलूरू के दो छात्र साइकिल से 60 दिन में पहुंचे कारगिल, युद्ध स्मारक पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
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