महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि अगर शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे आज जिंदा होते तो वह राम मंदिर निर्माण और अनुच्छेद 370 हटाने के लिए पीएम मोदी की पीठ थपथपाते। शिवसेना आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए ‘शिव संकल्प’ अभियान का आयोजन कर रही है। इसी दौरान सोमवार को रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के राजापुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम शिंदे ने यह बात कही।
‘हम बालासाहेब ठाकरे के विचारों के असली वंशज’
सीएम शिंदे ने कहा कि ‘जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना और राम मंदिर निर्माण बाला साहेब ठाकरे का सपना था। अब ये दोनों बातें पीएम मोदी की वजह से पूरी हो चुकी हैं। अगर आज बालासाहेब ठाकरे जिंदा होते तो वह पीएम मोदी की पीठ थपथपाते।’ बाला साहेब ठाकरे का साल 2012 में निधन हो गया था। शिवसेना से बगावत कर अलग पार्टी बनाने पर एकनाथ शिंदे ने कहा कि उन्होंने स्वार्थ के चलते यह कदम नहीं उठाया था, बल्कि बालासाहेब के विचारों को जिंदा रखने के लिए ऐसा किया था। शिंदे ने कहा कि हम बालासाहेब के विचारों के असल वंशज हैं। जब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने शिवसेना के खाते में पड़े 50 करोड़ रुपये मांगे तो हमने पैसे दे दिए क्योंकि हम यहां पैसों के लिए नहीं हैं। बता दें कि एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में बगावत कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। जिससे शिवसेना दो धड़ों में टूट गई। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह और नाम पर दावा किया। जिसे चुनाव आयोग ने सही माना और पार्टी का चुनाव चिन्ह और नाम शिंदे गुट की शिवसेना को दे दिया। वहीं उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नाम से जाना जाता है और उनका चुनाव चिन्ह जलती हुई मशाल है।
‘हम बालासाहेब ठाकरे के विचारों के असली वंशज’
सीएम शिंदे ने कहा कि ‘जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना और राम मंदिर निर्माण बाला साहेब ठाकरे का सपना था। अब ये दोनों बातें पीएम मोदी की वजह से पूरी हो चुकी हैं। अगर आज बालासाहेब ठाकरे जिंदा होते तो वह पीएम मोदी की पीठ थपथपाते।’ बाला साहेब ठाकरे का साल 2012 में निधन हो गया था। शिवसेना से बगावत कर अलग पार्टी बनाने पर एकनाथ शिंदे ने कहा कि उन्होंने स्वार्थ के चलते यह कदम नहीं उठाया था, बल्कि बालासाहेब के विचारों को जिंदा रखने के लिए ऐसा किया था। शिंदे ने कहा कि हम बालासाहेब के विचारों के असल वंशज हैं। जब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने शिवसेना के खाते में पड़े 50 करोड़ रुपये मांगे तो हमने पैसे दे दिए क्योंकि हम यहां पैसों के लिए नहीं हैं। बता दें कि एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में बगावत कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। जिससे शिवसेना दो धड़ों में टूट गई। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह और नाम पर दावा किया। जिसे चुनाव आयोग ने सही माना और पार्टी का चुनाव चिन्ह और नाम शिंदे गुट की शिवसेना को दे दिया। वहीं उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नाम से जाना जाता है और उनका चुनाव चिन्ह जलती हुई मशाल है।