सीबीआई ने सोमवार को विशेष अदालत को बताया कि आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर ने निजी इस्तेमाल के लिए ऋणदाता के धन का दुरुपयोग किया। सीबीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक ए लिमोजिन ने वीडियोकॉन ग्रुप फर्म्स को कर्ज मंजूर करने में अनियमितताओं और धोखाधड़ी में चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर व अन्य के खिलाफ आरोपपत्र पर संज्ञान लेने की मांग की। सीबीआई ने अदालत को बताया कि चंदा कोचर मई 2009 से जनवरी 2019 के बीच आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ थीं। वह आरबीआई के दिशा-निर्देशों और आईसीआईसीआई बैंक की ऋण नीतियों के अनुसार इस तरह के ट्रस्ट का निर्वहन करने के लिए उत्तरदायी थीं। सीबीआई ने कहा, उन्होंने अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को कर्ज दिलाने की साजिश रची। चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली निदेशकों की समिति ने आपराधिक साजिश के तहत अगस्त 2009 में वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लि. को 300 करोड़ रुपये का कर्ज स्वीकृत किया।
निवेश की आड़ में चंदा के पति की कंपनी में 64 करोड़ स्थानांतरित
कर्ज की रकम का भुगतान वीडियोकॉन की अलग-अलग कंपनियों को किया गया। 64 करोड़ रुपये उनके पति दीपक कोचर की न्यूपावर रिन्युएबल लिमिटेड में निवेश की आड़ में स्थानांतरित किये गए। सीबीआई ने आगे कहा चंदा कोचर मुंबई में वीडियोकॉन के स्वामित्व वाले फ्लैट में रह रहीं थीं। यह फ्लैट अक्तूबर 2016 में महज 11 लाख रुपये में उनके पारिवारिक ट्रस्ट के नाम पर कर दिया गया। चंदा के पति दीपक इस ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं, जबकि इस फ्लैट की कीमत 1996 में 5.25 करोड़ रुपये थी।
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