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भारत में पहली बार बनाया जा रहा जे-स्लैब बैलेस्टलेस ट्रैक; सूरत से शुरू हुआ निर्माण

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रेलवे की अति महात्वाकांक्षी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना का काम बहुत तेजी से चल रहा है। इसके बारे में रेलवे अपडेट भी देता रहता है। अब नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने बताया है कि इस परियोजना के तहत पहले गिट्टी रहित ट्रैक का निर्माण शुरू हो चुका है। सूरत से शुरू हुए इस ट्रैक को कंक्रीट बेड से बनाया जा रहा है। एनएचएसआरसीएल ने इसे जे-स्लैब बैलास्टलेस ट्रैक सिस्टम बताया है। इसका उपयोग जापान की हाई-स्पीड रेल प्रणाली शिंकानसेन में किया गया है। भारत में ऐसे ट्रैक का निर्माण पहली बार किया जा रहा है। एनएचएसआरसीएल के बयान के मुताबिक, जे-स्लैब बैलेस्टलेस ट्रैक सिस्टम के लिए आरसी स्लीपर का निर्माण सूरत से शुरू हो गया है। इसमें एक प्री-कास्ट ट्रैक स्लैब भी शामिल है जिसके ऊपर फास्टनिंग डिवाइस लगाए गए हैं। इस लाइन पर बुलेट ट्रेन के परिचालन शुरू होने के बाद, देश की पहली बुलेट ट्रेन 350 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलेगी। यह ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद के बीच की 508 किलोमीटर की दूरी को तीन घंटे से भी कम समय में तय करेगी। इसमें कहा गया है कि परियोजना के तहत गुजरात में पड़ने वाले हिस्से में ट्रैक निर्माण से संबंधित कार्यों के लिए अनुबंध दिए जा चुके हैं। इस समय इसके लिए सामग्री की खरीद भी अपने अंतिम चरणों में है। साथ ही जापान से 14000 मीट्रिक टन से अधिक रेलवे पटरी और ट्रैक स्लैब कास्टिंग के लिए 50 मोल्ड पहले ही प्राप्त हो चुके हैं। एनएचएसआरसीएल ने यह भी कहा कि ट्रैक स्लैब का निर्माण खास कारखानों में किया जाएगा। इसके लिए ऐसे दो कारखानें पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। बता दें कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना की कुल लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। जिसमें से केंद्र को एनएचएसआरसीएल को 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना है, जबकि गुजरात और महाराष्ट्र क्रमश: 5,000 करोड़ रुपये का भुगतान करेंगे। बाकी बची राशि का वित्तपोषण जापान द्वारा 0.1 प्रतिशत ब्याज पर ऋण के माध्यम से किया जाना है।
जे-स्लैब बैलास्टलेस ट्रैक सिस्टम क्या है?
बता दें कि गिट्टी रहित ट्रैक या स्लैब ट्रैक एक प्रकार का रेलवे ट्रैक बुनियादी ढांचा है। इसमें स्लीपर्स और गिट्टी के पारंपरिक लोचदार संयोजन को कंक्रीट के कठोर निर्माण से बदल दिया जाता है। इस तरह के स्लैब ट्रैक का आविष्कार और विकास जापान में हुआ है। अब यह शब्द हाई स्पीड ट्रैक का पर्याय बन गया है।

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