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भूषण कुमार के खिलाफ FIR पर हाईकोर्ट ने कहा- पीड़िता की सहमति से रद्द नहीं हो सकता रेप केस

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को टी-सीरीज के मालिक भूषण कुमार के खिलाफ दर्ज बलात्कार की प्राथमिकी को रद्द करने में अपनी अनिच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि रेप के मामले को सिर्फ इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता क्योंकि पीड़िता ने ऐसा करने के लिए अपनी सहमति दी है। दरअसल, भूषण ने इस आधार पर एफआईआर रद्द करने की याचिका दाखिल की थी कि पीड़िता ने अपनी शिकायत वापस ले ली है और उसे रद्द करने की सहमति दे दी है। जस्टिस ए एस गडकरी और पी डी नाइक की खंडपीठ ने इस केस पर सुनवाई करते हुए कहा कि केवल इसलिए कि शिकायतकर्ता ने अपनी सहमति दे दी है, एफआईआर को रद्द नहीं किया जा सकता। इस बारे में कोर्ट ने कहा, “केवल इसलिए कि पार्टियां सहमति दे रही हैं इसका मतलब यह नहीं है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत एक प्राथमिकी को रद्द कर दिया जाना चाहिए। हमें प्राथमिकी के कंटेंट को देखना होगा। इस मामले में दर्ज किए गए बयान को भी देखना होगा कि अपराध जघन्य था या नहीं।” कोर्ट ने आगे कहा कि कंटेंट के अनुसार यह मामला सहमति का नहीं लग रहा है। भूषण कुमार के वकील निरंजन मुंदरगी ने अदालत को बताया कि मामला कथित तौर पर 2017 का बताया जा रहा है। जुलाई 2021 में इसको लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा संबंधित मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष एक बी-समरी रिपोर्ट (आरोपी के खिलाफ झूठा मामला या कोई मामला नहीं बनाया गया) दायर की गई थी। एक स्थानीय राजनेता मल्लिकार्जुन पुजारी ने बी-समरी रिपोर्ट के खिलाफ एक विरोध याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया कि उन्होंने महिला को प्राथमिकी दर्ज करने में मदद की थी, हालांकि महिला ने इस मामले में कार्यवाही बंद करने के लिए अपनी सहमति दे दी थी। इसके बाद मजिस्ट्रेट की अदालत ने अप्रैल 2022 में पुलिस की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने बुधवार को प्राथमिकी, शिकायतकर्ता महिला द्वारा मामले को रद्द करने के लिए अपनी सहमति देने वाले हलफनामे और मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा पारित आदेश का अवलोकन किया। पीठ के मुताबिक सामग्री यह नहीं दर्शाती है कि आरोपी और महिला के बीच संबंध सहमति से बने थे। इस  मामले में जब पीठ ने याचिका को अनुमति देने और मामले को रद्द करने में अपनी अनिच्छा व्यक्त की, तो मुंदरगी ने याचिका के समर्थन में और सामग्री प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। अब इस मामले में दो जुलाई, 2023 को आगे की सुनवाई की जाएगी।

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