मीरा-भाईंदर
एक तरफ मीरा-भाईंदर मनपा 18-44 आयु वर्ग के लिए वैक्सीन ‘ढूंढ’ रही है, दूसरी तरफ निजी अस्पताल टीकाकरण कैंप लगा रहे हैं। मनपा का 45 आयु वर्ग का टीकाकरण कार्यक्रम भी ‘जैसे-तैसे’ ही चल रहा है। मनपा को लाख कोशिश के बाद भी वैक्सीन नहीं मिल रही है, तो निजी अस्पताल मनमाने दाम में वैक्सीन बेच रहे हैं।
रहिवासी इमारतों में वैक्सीनशन कैंप
मीरा-भाईंदर की कई रहिवासी इमारतों में निजी अस्पतालों के माध्यम से वैक्सीनेशन कैंप लगाए जा रहे हैं। स्वयं विधायक गीता जैन कैंप लगवाने में सहयोग कर रही हैं। जैन ने बताया कि निजी अस्पताल एक डोज के 750 रुपये चार्ज कर रहे हैं। वहीं, सूत्रों का कहना है कि कई निजी अस्पताल एक डोज का 1,200 रुपये तक चार्ज कर रहे हैं।
कैंप की वैधता पर उठ रहे सवाल
इस तरह के वैक्सीनेशन कैंप की वैधता पर सवाल उठने लगे हैं। कई सामाजिक संस्थाओं ने इस बारे में आयुत्त को पत्र भी लिखा है। नरेंद्र गुप्ता कहते हैं कि जब मनपा प्रशासन को वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है, तो निजी अस्पतालों को वैक्सीन कैसे मिल रही है? इन कैंपों के नाम पर खुलेआम वैक्सीन की कालाबाजारी हो रही है।
मनपा के पास वैक्सीन क्यों नहीं
मनपा को वैक्सीन न मिलने के बारे में उपायुक्त संभाजी वाघमारे से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो सकी। जानकार बताते हैं कि मनपा को वैक्सीन न मिलने में उसकी नीति बाधा बन रही है। वैक्सीन के वितरक अग्रिम भुगतान की मांग कर रहे हैं, जबकि मनपा टेंडर के माध्यम से वैक्सीन मिलने के बाद भुगतान करती है।
प्रशासनिक नीतियों से बढ़ेगी कालाबाजारी
वैक्सीन पर कोई नीति न होने से इसकी कालाबाजारी होने की संभावना बढ़ती जा रही है। डॉ. राजेश शुक्ला कहते हैं कि सरकार को वैक्सीन को लेकर केंद्रीकृत नीति और योजना बनाने की आवश्यकता है। इसके अभाव में वैक्सीन की मनमाने दामों में बिक्री होगी।
मनपा के पास वैक्सीन का अकाल, कैंप लगा रहे निजी अस्पताल
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