महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सपनों पर ग्रहण लगने की संभावना बढ़ गई है। शिंदे अपनी पार्टी शिवसेना (शिंदे) को अखिल भारतीय स्तर पर लांच करने की तैयारी कर रहे थे। अयोध्या का दौरा कर आए थे, लेकिन उन्हें रामलला के आशीर्वाद का इंतजार है। शिंदे को आशीर्वाद इसलिए भी चाहिए क्योंकि नागपुर में महाराष्ट्र के भावी मुख्यमंत्री के तौर पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस के पोस्टर चस्पा हो रहे हैं। इसी दौड़ में एनसीपी के अजीत पवार का भी पोस्टर चस्पा हो रहा है। महाराष्ट्र से ही खबर यह भी है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को काफी कुछ अंदाजा है, लेकिन वह अभी चुप हैं। भाजपा के केंद्रीय नेताओं से ताजा हालात पर चर्चा करते हैं, लेकिन मीडिया से बहुत संभलकर बोल रहे हैं। एनसीपी के नेता जयंत पाटील ने महाराष्ट्र में अगला मुख्यमंत्री अपनी पार्टी (एनसीपी) से होने की संभावना जताई थी। इस संभावना को पंख लग रहे हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिंदे ने करीब ढाई दर्जन आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया था। कुछ और बड़े विभागों में भी तबादले किए। महाराष्ट्र सचिवालय में इसकी चर्चा है कि इन तबादलों की जानकारी उपमुख्यमंत्री को नहीं थी। तबादला होने के बाद उन्हें जानकारी मिली। इससे भी तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं। अगले मुख्यमंत्री को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने महाविकास अघाड़ी को तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा की संज्ञा दी है। मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि पोस्टर लगने से कोई मुख्यमंत्री नहीं बन जाता। शिंदे ने कहा कि हम जनता के सेवक हैं और जनता की सेवा करते रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिसे राजनीति करनी है, वो करे। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष में मुख्यमंत्री बनने की होड़ शुरू हो गई है।
शरद पवार और संजय राऊत के बयान ने भी बढ़ाई है सरगर्मी
अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस का पोस्टर लगाने के इस चरित्र से पहले शिवसेना के नेता संजय राऊत ने जहां शिंदे की सरकार की उल्टी गिनती गिननी शुरू कर दी थी, वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अप्रत्याशित बयान दे दिया। आमतौर पर बहुत तौलकर बोलने वाले शरद पवार इस तरह का बयान अपवाद स्वरूप ही देते हैं। उन्होंने यह कहकर सनसनी फैलाई है कि रोटी पलटने का समय आ गया है। शरद पवार के बयान को दो संदर्भों में देखा जा रहा है। पहला तो यह कि वह एनसीपी के वरिष्ठ कमांडरों में बदलाव का संकेत दे रहे हैं। दूसरा अर्थ यह निकाला जा रहा है कि भाजपा के कुछ रणनीतिकार दिल्ली के इशारे पर एनसीपी को तोड़ने की पहल कर रहे थे। दिल्ली में सत्ता के गलियारे के काफी करीब रहने वाले एक पत्रकार का दावा है कि 2019 के एपीसोड के बाद से ही भाजपा के रणनीतिकार शरद पवार के घर (एनसीपी) में सेंध लगाने में जुटे हैं। यह शरद पवार को राजनीतिक जवाब देने के लिए चल रहा था और शरद पवार ने समय रहते इसे भांप लिया था। लिहाजा वह अपनी राजनीतिक शैली में पलटवार की योजना बना चुके हैं। इस कड़ी में उद्योगपति गौतम अदाणी से शरद पवार की बंद कमरे में भेंट को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। चर्चा के केंद्र में संवैधानिक और राजनीतिक स्थिति भी है। ब्रह्मदेव चतुर्वेदी महाराष्ट्र की राजनीति में अच्छी समझ रखते हैं। थाणे से हैं। वह कहते हैं कि एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना को छोड़ने वाले विधायकों की सदस्यता जाने का खतरा टला नहीं है। एकनाथ शिंदे वैसे भी महाराष्ट्र में शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे वाला रुतबा नहीं पा सके हैं। चतुर्वेदी कहते हैं कि इसका एहसास भाजपा को भी है। उद्धव ठाकरे इस समय खामोश हैं। कांग्रेस चुपचाप तमाशा देख रही है। इसलिए इसका अर्थ समझना होगा। यही से ‘रोटी पलटे जाने’ की उम्मीद भी बढ़ रही है।
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