संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर कटाक्ष करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यह एक पुराने क्लब की तरह है। इसके सदस्य देश नए सदस्यों को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं। उन्हें लगता है कि इससे वह अपनी पकड़ खो देंगे। जयशंकर ने रविवार को बंगलूरू में रोटरी इंस्टीट्यूट के कार्यक्रम में कहा, क्लब के सदस्य नहीं चाहते कि उनकी परंपराओं पर सवाल उठाया जाए। सुरक्षा परिषद में कुछ ऐसे सदस्य हैं, जो अपनी पकड़ छोड़ना नहीं चाहते। विदेश मंत्री ने इसे मानवीय विफलता बताते हुए कहा कि बिना किसी सुधार के संयुक्त राष्ट्र कम प्रभावी होता जा रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आपने बस में देखा होगा, कोई बच्चा लिए खड़ा रहता है या कोई थका रहता है, मगर यात्री सीट नहीं छोड़ते। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच सदस्य सीट पर बैठे हैं। इन्हें अन्य यात्रियों की तकलीफ से कोई मतलब नहीं है। कार्यक्रम में सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है संयुक्त राष्ट्र के व्यवहार से दुनिया को नुकसान हो रहा है। साफतौर पर यह विश्व के लिए नुकसान भरा है। विश्व के सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र का प्रभाव बेहद कम होता जा रहा है।
राष्ट्रों से पूछे, सुधार किया जाए या नहीं- जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि मैं वैश्विक भावनाओं को भी बता सकता है हूं। मेरे कहने का मतलब है कि अगर आज ही आप 200 देशों से पूछें कि क्या वह संयुक्ता राष्ट्र में सुधार का समर्थन करते हैं या नहीं, तो मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि बड़ी संख्या में सदस्य राष्ट्र इसमें सुधार की वकालत करते हैं। जयशंकर ने कहा, भारत की जी-20 की अध्यक्षता बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि है। इसके जरिये भारत दुनिया के शक्तिशाली देशों को सतत और हरित विकास को बढ़ावा देने के लिए एक नई प्रतिबद्धता दिखाने में सक्षम रहा।