शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा मुद्दे की अनदेखी किए जाने को लेकर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। राउत ने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता करते हैं, वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर आंखें बंद कर लेते हैं, जो अच्छे राजनेता की निशानी नहीं है। मराठी अखबार सामना में प्रकाशित अपने साप्ताहिक कॉलम ‘रोखठोक’ में राउत ने कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद मानवता के लिए संघर्ष है, न कि दोनों राज्यों के लोगों और सरकारों के बीच की लड़ाई। राउत ने कहा कि कर्नाटक के बेलगावी और आसपास के क्षेत्रों में मराठी भाषी लोगों के संघर्ष को क्रूरता से कुचला नहीं जा सकता है। उन्होंने सवाल किया कि अगर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे का समाधान नहीं कर सकते हैं, तो न्याय के लिए कहां जाएं। राज्यसभा सांसद राउत ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे को हल करने की दिशा में पहल की, यह अच्छी बात है, लेकिन सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार तटस्थ रुख अपनाएगी। राउत ने मांग की कि संसद को सीमा विवाद का हल निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को महाराष्ट्र के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के बजाय विवाद को सुलझाने के लिए बेलगावी में मराठी भाषी लोगों के संगठनों और नेताओं से बातचीत करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि यह साफ हो गया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के क्षेत्रों पर दावा करने के सीएम बोम्मई के आक्रामक रुख का सामना करने के लिए कमजोर हैं। गौरतलब है कि महाराष्ट्र लंबे समय से उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी और आसपास के सीमावर्ती क्षेत्रों पर दावा कर रहा है, क्योंकि इन क्षेत्रों की आबादी मराठी भाषी है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने हाल ही में दावा किया था कि महाराष्ट् के सांगली जिले के कुछ गांवों ने बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण कर्नाटक में शामिल होने का प्रस्ताव पारित किया है। इस दावा के बाद दोनों राज्यों के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद फिर से शुरू हो गया।
राउत का पीएम पर तंज: रूस-यूक्रेन के बीच मध्यस्थता कर सकते हैं, महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा मुद्दे की अनदेखी क्यों
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