राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अजित पवार के मुख्यमंत्री बनने के दावे और उनके अगले राजनीतिक कदम को लेकर चल रही अफवाहों के बीच उन्होंने एक बड़ा बयान दिया है। अजीत पवार ने गुरुवार को कहा कि वह अपने चाचा और पार्टी सुप्रीमो शरद पवार का उसी तरह ‘ध्यान रखेंगे’, जिस तरह महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने अपने चाचा बालासाहेब ठाकरे का रखा था। अजित पवार का यह बयान राज ठाकरे की सलाह के बाद आया है। दरअसल, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस ने बुधवार को एक निजी मीडिया के कार्यक्रम में राज ठाकरे का इंटरव्यू लिया था। अमृता फडणविस के साथ एनसीपी सांसद अमोल कोल्हे ने भी बतौर एंकर सवाल-जवाब किए थे। ठाकरे ने कहा था कि अजित पवार को अपने चाचा का भी उतना ही ध्यान रखना चाहिए जितना वे बाहर के लोगों का रखते हैं। पत्रकारों द्वारा राज ठाकरे की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर अजित पवार ने कहा, ‘जिस तरह राज ठाकरे ने अपने चाचा का ध्यान रखा, उसी तरह मैं भी अपने चाचा का ध्यान रखूंगा। गौरतलब है कि मनसे प्रमुख ने 2006 में अपने चाचा और शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बना ली थी। अमृता ने इंटरव्यू के दौरान राज ठाकरे से एक सवाल और करते हुए पूछा था कि कभी आप एनसीपी के करीब जाते कभी शिवसेना कभी भाजपा। हम साथ-साथ है ये कब होगा? इसके जवाब में राज ठाकरे ने अमृता से कहा, आप देवेंद्र जी पत्नी के तौर पर इंटरव्यू नहीं ले रही इसलिए कहता हूं कि आजकल उपमुख्यमंत्री किसके साथ हैं यह भी समझ नहीं आता कभी शिंदे के साथ तो कभी अजीत पवार के साथ…। महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने गुरुवार को केंद्र से एक मई को महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग की। पवार ने यह भी कहा की महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे केंद्र सरकार के साथ इस मांग के लिए आगे की कार्रवाई करें। एक मई को महाराष्ट्र दिवस मनाया जाता है, क्योंकि एक मई, 1960 को राज्य का गठन किया गया था। सीएम शिंदे को लिखे पत्र में पवार ने कहा कि मराठी भाषा शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के हर मापदंड को पूरा करती है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी सहित हर विभाग ने प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। हर विभाग ने पॉजिटिव रिपोर्ट दी है। केवल केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी बाकी है, जो अंतिम मंजूरी है। उन्होंने कहा, ‘मैं मांग करता हूं कि केंद्र सरकार इसे मंजूरी दे और ‘अमृत काल’ के उपहार के रूप में मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दे। पवार ने कहा कि फरवरी 2022 में जब महाविकास अघाड़ी सत्ता में थी तब राज्य के मराठी भाषा मंत्री सुभाष देसाई ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी से मुलाकात की थी। किशन रेड्डी ने देसाई को बताया था कि पठारे समिति की रिपोर्ट केंद्र द्वारा स्वीकार कर ली गई है। देसाई ने तब कहा था कि राज्य सरकार ने साहित्यकार रंगनाथ पठारे की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति ने किसी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के मानदंड के लिए भाषा की प्राचीनता, मौलिकता और निरंतरता और साहित्यिक परंपराओं के बारे में सबूतों का हवाला देते हुए एक बड़ी रिपोर्ट तैयार की थी। पवार ने कहा कि 2021 में तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे ने एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व में महाराष्ट्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और उनसे मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के बारे में निर्णय लेने की भी अपील की थी। गौरतलब है कि तमिल, तेलुगु, संस्कृत, मलयालम, कन्नड़ और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है। पवार ने कहा कि साहित्य अकादमी से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बावजूद, मराठी भाषा पर फैसला अभी भी लंबित है।
राज ठाकरे की सलाह पर अजित पवार का पलटवार, कहा- जिस तरह उन्होंने चाचा का ध्यान रखा, मैं भी रखूंगा
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