राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नेहरू मेमोरियल संग्राहलय और पुस्तकालय का नाम बदलकर प्रधान मंत्री संग्रहालय करने को मंजूरी दे दी है। यह फैसला जून में ही ले लिया गया था और 15 अगस्त यानी की स्वतंत्रता दिवस के दिन इसे लागू किया गया। अब राष्ट्रपति से भी नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने को मंजूरी मिल गई। पीएम मोदी ने साल 2016 में ही एक प्रस्ताव रखा था कि नेहरू मेमोरियल में देश के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा। उसी साल 25 नवंबर को एनएमएमएल की 162वीं बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दी गई थी। पीछले साल 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री संग्रहालय को जनता के लिए खोल दिया गया था। 15 जून को राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने के प्रस्ताव पर मुहर लगी थी। राजनाथ सिंह नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के उपाध्यक्ष हैं और प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष। उनके अलावा 29 सदस्य इस सोसाइटी में शामिल हैं, जिसमें अमित शाह, मिर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, जी किशन रेड्डी और अनुराग ठाकुर प्रमुख हैं।
कैसे पड़ा नेहरू मेमोरियल का नाम
नेहरू मेमोरियल पहले तीन मूर्ति भवन के नाम से जाना जाता था। अंग्रेजी शासन में भारत के कमांडर इन चीफ का आधिकारिक आवास था। ब्रिटिश भारत के अंतिम कमांडर इन चीफ के जाने के बाद 1948 में ये तीन मूर्ति भवन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का आधिकारिक आवास बन गया था। वे यहां करीब 16 वर्षों तक रहे और यहीं पर उन्होंने अपनी अंतिम सांस भी ली। इसके बाद इस भवन को पंडित नेहरू की याद में उन्हें समर्पित कर दिया गया और तब से ही इस भवन को पंडित नेहरू म्यूजियम एंड मेमोरियल के नाम से जाना जाने लगा।
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