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रेपो रेट में फरवरी 2025 से पहले कटौती की उम्मीद नहीं, एसबीआई की रिपोर्ट में महंगाई पर ये कहा गया

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एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में यूएस फेडरल रिजर्व की ओर से नीतगत ब्याज दरों में 50 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी इसी तरह के कदम पर विचार कर सकता है, लेकिन इस साल ऐसा होने के आसार कम हैं। रिपोर्ट के अनुसार संभावित रूप से फरवरी 2025 तक दर में भारत का केंद्रीय बैंक कटौती की घोषणा कर सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति जिसे हम खुदरा महंगाई दर कहते हैं अगस्त 2024 में सालाना आधार पर 3.65 प्रतिशत के करीब पहुंचते हुए पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है। रिपोर्ट के अनुसार, कैलेंडर 2024 में आरबीआई की ओर से किसी भी दर कटौती की उम्मीद कम है। अब तक के अनुमानों के अनुसार 2025 की शुरुआत में  संभवत: फरवरी में दर कटौती का फैसला लिया जा सकता है। बीते बुधवार को, भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सी. श्रीनिवासुलु शेट्टी ने भी साक्षात्कार में ऐसा ही अनुमान जताया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकिंग क्षेत्र के लिए तरलता की चुनौतियां बनी रहेंगी क्योंकि सरकारी नकदी शेष धीरे-धीरे बैंकिंग प्रणाली से बाहर निकल रही है। सितंबर और अक्तूबर में मुद्रास्फीति में अपेक्षित उछाल के बावजूद, आने वाले महीनों में सीपीआई मुद्रास्फीति के 5 प्रतिशत से नीचे या उसके करीब रहने का अनुमान है। पूरे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए औसत मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत से 4.7 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। इस तरह, यह आरबीआई के 4-6 प्रतिशत के लक्ष्य सीमा के भीतर रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है , “हालांकि, पूरे वित्त वर्ष 2025 के लिए, सीपीआई मुद्रास्फीति औसतन 4.6 प्रतिशत-4.7 प्रतिशत रहने की संभावना है और यह आरबीआई की लक्षित सीमा 4-6 प्रतिशत के भीतर रहेगी।” रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मानसून की गतिविधि अनुकूल रही है, जिसमें अब तक 7 प्रतिशत अधिशेष दर्ज किया गया है। इसका खरीफ की बुवाई पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जो पांच साल के औसत से अधिक होकर 109.7 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गई है। 17 सितंबर तक, खरीफ फसल की बुवाई सामान्य रकबे 0.1 प्रतिशत और पिछले साल की तुलना में 2.2 प्रतिशत बेहतर रही। विशेष रूप से धान की बुवाई में 2.1% की वृद्धि देखी गई, जो पांच साल के औसत की तुलना में 41 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गई। रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने मुद्रास्फीति के दबावों को प्रबंधित करने के लिए सख्त तरलता बनाए रखना जारी रखा है। सरकारी अधिशेष नकदी शेष औसतन 2.8 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि टिकाऊ/कोर तरलता अधिशेष 18 सितंबर तक बढ़कर 3.19 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह, पिछली मौद्रिक नीति घोषणा के बाद से औसतन 3.9 लाख करोड़ रुपये रहा। इसके कारणों पर रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि मुद्रास्फीति आरबीआई के बैंड में बनी रही, तो अगले साल फरवरी तक ब्याज दरों में कटौती की घोषणा संभव है।