प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। इस कार्यक्रम में शरद पवार भी थे। इतना ही नहीं इस मौके पर पीएम मोदी के अलावा सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार एक ही मंच पर मौजूद रहे। वहीं अब इस कार्यक्रम को लेकर राजनीति शुरू हो गई हैं। शिवसेना (यूबीटी) ने मंगलवार को कहा कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार इस कार्यक्रम से दूर रह सकते थे। शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में दावा किया कि पीएम मोदी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और फिर पार्टी में विभाजन कराया और महाराष्ट्र की राजनीति को खराब कर दिया। कुछ लोगों के मन में शरद पवार को लेकर संदेह हैं और अच्छा मौका था ऐसे संदेह को जवाब देने का वह इस कार्यक्रम से दूर रह सकते थे लेकिन उन्होंने पीएम मोदी का स्वागत किया जो कुछ लोगों को पसंद नहीं आया। सामना में कहा गया है कि अगर शरद पवार एनसीपी में विभाजन के विरोध में पीएम मोदी के कार्यक्रम से दूर रहते, तो उनके साहस की सराहना की जाती। साथ ही आगे कहा कि देश तानाशाही के खिलाफ लड़ रहा है और इस उद्देश्य के लिए 26 विपक्षी दलों वाला इंडिया गठबंधन बनाया गया है और शरद पवार गठबंधन के अग्रणी सेनापति हैं। सामना में कहा गया है कि शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता से लोगों की काफी उम्मीदें हैं।
मणिपुर हिंसा पर पीएम मोदी बोलने को तैयार नहीं
आगे पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि मणिपुर में हुई हिंसा पर पीएम मोदी बोलने को तैयार नहीं हैं और देश के नेता का इस मुद्दे पर न बोलना राष्ट्रीय हित में नहीं है। पुणे में प्रधानमंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और राकांपा कार्यकर्ता इसमें हिस्सा ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को पुणे में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किए गए। इस कार्यक्रम में एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी मौजूद रहे। शरद पवार के साथ सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने मंच साझा किया।