राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार बड़े नेता हैं, लेकिन वह उत्तराधिकारी तैयार करने में विफल रहे। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुखपत्र सामना में पवार पर यह तंज कसा गया है। इससे राकांपा के नेता नाराज हो गए हैं, जिससे महा विकास आघाड़ी (एमवीए) में तनाव बढ़ता दिख रहा है। मुखपत्र में लिखा है कि पवार निश्चित तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े नेता हैं। राष्ट्रीय राजनीति में उनके विचार को सम्मान मिलता है। लेकिन वह पार्टी को आगे ले जाने वाला अपना उत्तराधिकारी तैयार नहीं कर सके। इसलिए उनके पास अध्यक्ष पद पर वापसी के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। पवार के अध्यक्ष पद छोड़ने के फैसले से ही पार्टी जड़ से हिल गई। कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। अंततः उन्होंने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का सम्मान किया और अपने पद पर बने रहने की घोषणा की। राकांपा वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि संजय राउत को क्या दिक्कत है। क्या वे मतभेद बढ़ाना चाहते हैं। क्या वह चाहते हैं कि राकांपा को एमवीए छोड़ देना चाहिए। भुजबल ने कहा कि राउत की जितनी उम्र है, उतना शरद पवार का राजनीतिक जीवन है। राकांपा में अजीत पवार, सुप्रिया सुले और जयंत पाटिल जैसे नेता हैं। राउत को यह पता होता है कि कौन किसके घर गया। अगर, इतना शिंदे गुट और बागियों के बैग पर ध्यान देते तो शिवसेना में ये स्थिति नहीं पैदा होती। वहीं, शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने कहा कि एक संपादक का मत राज्य का मत नहीं हो सकता।
शरद पवार बड़े नेता, पर तैयार नहीं कर सके उत्तराधिकारी
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