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शशि थरूर ने भाजपा-वाम दलों पर लगाया साठगांठ का आरोप, बोले- इससे सिर्फ BJP का फायदा

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कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने एक बार फिर भाजपा पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने तिरुवनंतपुरम में वाम दलों पर भाजपा विरोधी वोटों को विभाजित करने का आरोप लगाया है। कहा कि वाम दल दावा करते हैं कि वे विपक्षी एकता के बारे में बहुत चिंतित हैं, लेकिन वह यह बताने में नाकामयाब है कि वह भाजपा के कुशासन पर ध्यान देने की बजाय आखिर अपनी ऊर्जा उन्हें गिराने क्यों लगा रहा है। केरल के तिरुवनंतपुरम में त्रिकोणीय मुकाबला होना है। यहां कांग्रेस की ओर से शशि थरूर, भाजपा की ओर से राजीव चंद्रशेखर और माकपा की ओर से रविंद्रन चुनावी मैदान में हैं। थरूर ने कहा कि यह विडंबना है कि वाम दल संसदीय सीट पर भाजपा विरोधी मतों को बांटना चाहता है और वायनाड में गठबंधन धर्म का प्रचार करना चाहता है, जहां से राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं।  एक इंटरव्यू में शशि थरूर ने कहा कि वाम दलों ने उनके खिलाफ हमेशा ऐसा किया है और वह इसके लिए उनकी आलोचना नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने साल 2009 में उनसे यह सीट ली थी। उन्होंने आगे कहा, ‘उनके पूरे प्रचार अभियान का मुझ पर हमला करना दिखाता है कि वह केवल भाजपा की मदद कर रहे हैं। वाम दल दावा करते हैं कि वे विपक्षी एकता को लेकर परेशान है, लेकिन वे भाजपा के कुशासन पर ध्यान देने की बजाय अपनी ऊर्जा मुझे नीचा दिखाने में क्यों लगा रहे हैं, यह बताने में असफल रहे हैं।’

आरोप पूरी तरह से बकवास
उन्होंने राहुल गांधी की उम्मीदवारी पर भाकपा की आपत्ति का जिक्र करते हुए कहा, ‘जानबूझकर या अन्यथा, उनका अभियान लगभग पूरी तरह से मेरे खिलाफ रहा है। उदाहरण के लिए, मुझ पर फलस्तीन विरोधी और मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाया गया है, जो पूरी तरह से बकवास है। विडंबना यह है कि वे यहां भाजपा विरोधी वोटों को बांटना चाहते हैं और वायनाड में गठबंधन धर्म का प्रचार करना चाहते हैं।’ थरूर ने यह भी कहा कि वह निर्वाचन क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ बहस करना चाहते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि वे इसमें दिलचस्पी नहीं रखते हैं और उन्होंने विभिन्न संगठनों से चर्चा के लिए कई निमंत्रण ठुकरा दिए हैं। कांग्रेस की कार्यकारी समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि उनकी हिचकिचाहट कहां से आती है। मैं सिर्फ अपने किए गए कामों पर बहस कर सकता हूं। किसी से भी बहस करने का मेरा विश्वास मेरे संसदीय क्षेत्र के लोगों के लिए किए गए कामों के कारण हैं। वहीं राष्ट्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर मेरे द्वारा अपनाए गए रुख के प्रति मेरे दृढ़ विश्वास से यह कह सकता हूं कि मैं बहस कर सकता हूं।’ उन्होंने प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देते हुए कहा, ‘हमें विकास और राजनीति पर बहस करनी चाहिए। आइए हम महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता और भाजपा के 10 सालों तक नफरत की राजनीति के प्रचार पर बहस करें। साथ ही तिरुवनंतपुरम के विकास पर बहस और पिछले 15 सालों में दिखाई देने वाली प्रगति पर चर्चा करें।’ यह पूछे जाने पर कि तिरुवनंतपुरम से लगातार चौथी बार चुनाव लड़ने के बाद वह ‘थकान फैक्टर’ को कैसे हराएंगे, थरूर ने तर्क दिया कि जब ठहराव होता है तो थकान खत्म हो जाती है और सांसद के रूप में मेरे कार्यकाल में इसके अलावा कुछ नहीं देखा गया है।’ उन्होंने कहा, ‘मेरी प्राथमिक चिंता मेरे मतदाताओं की भलाई रही है और मुझे विश्वास है कि तिरुवनंतपुरम के लोग फिर से मुझ पर अपना विश्वास व्यक्त करेंगे। जिन्होंने मुझे 15 वर्षों तक एक्शन में देखा है, उनके पास निर्वाचन क्षेत्र के लिए मेरी सेवाओं और संसद में राष्ट्रीय मुद्दों पर और विश्व मंच पर मेरे रुख की सराहना करने के कई कारण हैं।’
68 पन्नों की रिपोर्ट जारी
थरूर ने कहा कि जहां तक पिछले 15 साल में निर्वाचन क्षेत्र के लिए उनकी उपलब्धियों की बात है तो उन्होंने 68 पन्नों की रिपोर्ट जारी की है जिसमें पूरे विवरण के साथ सभी आकलन कर सकते हैं। थरूर ने कहा, ”अगर किसी भी रूप में ताकत कम दिख रही है तो वह भाजपा द्वारा राष्ट्रीय राजनीतिक विमर्श में डाली गई विभाजनकारी नफरत के कारण है और यही एकमात्र चीज है जिसके खिलाफ तिरुवनंतपुरम के लोग 2024 में मतदान करेंगे। कांग्रेस और भाकपा इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के तहत राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन में हैं, लेकिन केरल में वे प्रतिद्वंद्वी राज्य ब्लॉकों- यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के हिस्से के रूप में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। 2009 में इस सीट के लिए चुने गए थरूर ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-1 और यूपीए-2 सरकारों में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री और विदेश राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया था। थरूर ने 2019 के आम चुनावों में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पर 99,989 मतों के अंतर से हैट्रिक लगाई थी। केरल में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान 26 अप्रैल को होगा और मतों की गिनती चार जून को देशभर में होगी।