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शान से निकली भगवान रघुनाथ की रथयात्रा, हजारों ने खींचा रथ, श्रीराम के जयघोष से गूंजा क्षेत्र

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देवी-देवताओं का समागम अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव भगवान रघुनाथ की भव्य रथयात्रा के साथ मंगलवार को शुरू हो गया। कुल्लू में आई आपदा के साढ़े तीन माह बाद प्रदेश का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन शुरू हुआ। अपराह्न 4:31 बजे पालकी में सवार होकर रथ मैदान पहुंचे भगवान रघुनाथ की पूजा अर्चना और परिक्रमा के बाद माता भेखली का इशारा मिलते ही शाम करीब 5:21 बजे रथ मैदान ढालपुर से रघुनाथ की भव्य रथयात्रा जय श्रीराम व हर-हर महादेव के जयघोष के साथ शुरू हुई। सभी धर्मों के हजारों लोगों ने एक साथ रथ को खींचा। मान्यता है कि भगवान रघुनाथ का रथ खींचने से पापों से मुक्ति मिलती है। रथ पर सवार अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ को देव परंपरा और कड़ी सुरक्षा के बीच उनके अस्थायी शिविर ढालपुर मैदान में लाया गया। जहां अगले सात दिन उनकी यहीं पूजा-अर्चना होगी। लोग यहां रघुनाथ के दर्शन करेंगे। हर दिन उनका शृंगार होगा। रथयात्रा के दौरान हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल बतौर मुख्यातिथि मौजूद रहे। रथ मैदान में कुल्लू जिले के करीब 100 देवी-देवता परंपरा निभाने पहुंचे। ढोल-नगाड़ों, नरसिंगों, शहनाई की स्वरलहरियों से पूरा वातावरण देवमय हुआ। इस भव्य नजारे को देश-विदेश से पहुंचे पर्यटकों ने भी देखा। इससे पहले भगवान रघुनाथ अपने देवालय सुल्तानपुर से करीब 3:00 बजे पालकी में सवार होकर रवाना हुए। रास्ते में लोगों ने उनका जगह-जगह फूलों के साथ स्वागत किया।
भगवान रघुनाथ के सम्मान में वर्ष 1660 से अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव मनाया जा रहा है। देवताओं के इस महाकुंभ में 332 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया था। मेले के लिए आउटर सराज के 14 देवी-देवता 200 किमी दूर से कुल्लू पहुंचे हैं। इनमें देवता खुडीजल, ब्यास ऋषि, कोट पझारी, टकरासी नाग, चोतरू नाग, बिशलू नाग, देवता चंभू उर्टू, देवता चंभू रंदल, सप्तऋषि, देवता शरशाई नाग, देवता चंभू कशोली, कुई कांडा नाग, माता भुवनेश्वरी शामिल हैं।  वहीं, सुबह से ही ढालपुर में देवताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। वहीं, बड़ी संख्या में देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचे। ढोल-नगाड़ों की मधुर ध्वनियों से पूरी घाटी गूंज उठी और देव धुनों से माहौल भक्तिमय हो गया है।  मंगलवार सुबह भी देवी-देवताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा।

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