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संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में खुलासा, चार में से एक स्कूल ने स्मार्टफोन इस्तेमाल पर लगाया प्रतिबंध

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संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा शिक्षा में प्रौद्योगिकी पर रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि मूल्यांकन डाटा से यह जानकारी मिली कि जिन छात्रों के पास मोबाइल डिवाइस हैं, उनकी सीखने की क्षमता, उनके ध्यान लगाने की शक्ति पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। यूएन शिक्षा टीम के विशेषज्ञ ने दावा किया कि शिक्षा में प्रौद्योगिकी पर बहुत अधिक ध्यान देने से बहुत अधिक लागत आती है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि स्मार्टफोन सहित प्रौद्योगिकी का उपयोग  कक्षाओं में केवल तभी होना चाहिए, जब इससे कुछ सीखा जाए। मोबाइल फोन इस्तेमाल के वैसे तो कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स से लेकर कई सारे शोध इस पर किए जा चुके हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इससे नकारात्मक प्रभाव से खुद को नहीं बचा पा रहे हैं। हालांकि मोबाइल फोन इस्तेमाल के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में एक संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार नकारात्मक प्रभाव के कारण विश्व के 4 में से 1 स्कूल ने मोबाइल फोन को प्रतिबंधित कर दिया है। उनका कहना है कि कुछ शोध से यह बात सामने आई है कि जिन छात्रों के पास मोबाइल फोन थे, इनके सीखने और ध्यान लगाने की क्षमता कमजोर थी।
कोरोना काल में शुरू हुई ऑनलाइन पढ़ाई, कीबोर्ड ने ली पेन की जगह
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा किया गया कोराना काल में स्मार्ट फोन का इस्तेमाल काफी बढ़ा था। कोविड-19 को एक प्राकृतिक प्रयोग के रूप में देखा जा सकता है, जहां रातों-रात पूरी शिक्षा प्रणाली में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई। कई कक्षाओं में, कागज की जगह स्क्रीन ने ले ली है और पेन की जगह कीबोर्ड ने। रिपोर्ट में बताया गया कि “डिजिटल तकनीक को अपनाने से शिक्षा और सीखने में कई बदलाव हुए हैं। कम से कम अमीर देशों में, स्कूल में युवाओं से जो बुनियादी कौशल सीखने की अपेक्षा की जाती है, उसका विस्तार हुआ है और डिजिटल दुनिया में नेविगेट करने के लिए कई नए कौशल शामिल किए गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय मूल्यांकन डेटा, जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम (PISA) ने बताया कि अत्यधिक ICT (सूचना संचार प्रौद्योगिकी) के उपयोग से छात्र के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। 14 देशों में मोबाइल डिवाइस के पास होने से छात्रों का ध्यान भटकता है और सीखने पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, फिर भी चार में से एक देश ने स्कूलों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया है। यूनेस्को ने बताया है कि छात्रों के मध्यम सीमा से अधिक डिवाइस का उपयोग अकादमिक प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। स्मार्टफोन और कंप्यूटर का उपयोग कक्षा और घर पर सीखने की गतिविधि को बाधित करता है।

विद्यार्थियों का ध्यान भटकाते हैं मोबाइल पर आने वाले नोटिफकेशन
मोबाइल फोन पर आने वाले नोटिफिकेशन पढ़ते, सीखते या ध्यान लगाते वक्त आपका ध्यान भटकाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार “14 देशों में प्री-प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक के छात्रों के मोबाइल फोन के उपयोग और शैक्षिक परिणामों के बीच संबंधों पर शोध के मेटा-विश्लेषण में एक छोटा नकारात्मक प्रभाव दिखा, जो विश्वविद्यालय स्तर पर काफी बड़े स्तर पर पहुंच जाता है। मोबाइल पर आने वाली सूचनाएं या मोबाइल डिवाइस की मात्र निकटता एक ध्यान भटकाने वाली चीज हो सकती है, जिससे छात्र अपने काम से अपना ध्यान हटा लेते हैं। कक्षाओं में स्मार्टफोन के उपयोग से छात्र गैर-विद्यालय से संबंधित गतिविधियों में संलग्न हो जाते हैं। इससे याद करने और समझने पर प्रभाव पड़ता है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि एक अध्ययन में पाया गया है कि गैर-शैक्षणिक गतिविधि में संलग्न होने के बाद छात्रों को जो कुछ भी सीख रहे थे, उस पर फिर से ध्यान केंद्रित करने में 20 मिनट तक का समय लग सकता है। घर और स्कूल में प्रौद्योगिकी के उपयोग को निम्न, मध्यम या उच्च के रूप में वर्गीकृत करके, एक सीमा से अधिक गहन उपयोग को अक्सर घटते हुए शैक्षणिक प्रदर्शन के साथ सहसंबद्ध पाया गया, जबकि मध्यम उपयोग को अक्सर सकारात्मक शैक्षणिक परिणामों के साथ जोड़ा गया। वहीं टैबलेट और फोन के उपयोग के बारे में शिक्षकों की धारणाओं पर अध्ययन कक्षा प्रबंधन में परेशानी होती है। अक्सर छात्र शिक्षकों द्वारा बताई गई वेबसाइटों के अलावा अन्य वेबसाइटों पर जाते हैं। कक्षा में सोशल मीडिया का उपयोग भी विघटनकारी है, जो सीखने के परिणामों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हुए शैक्षणिक विकर्षण को बढ़ाता है।” डेटा विश्लेषण ने स्कूल में सोशल मीडिया के उपयोग से डिजिटल रीडिंग प्रदर्शन को नकरात्मक बताया है।