ओडिशा में ट्रिपल ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या दुर्घटना के 15 घंटे बाद 280 के पास पहुंच गई है जबकि घायल होने वालों की संख्या 900 के करीब है। विपक्ष इस मामले में अब सरकार पर हमलावर हो गई है। विपक्ष ने मामले में रेल मंत्री के इस्तीफे की मांग की है। बता दें रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव हादसे की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन करने का आदेश दे दिया है। बता दें शुक्रवार को देर शाम चेन्नई जारी रही कोरोमंडल एक्सप्रेस, हावड़ा जा रही बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी भीषण हादसे का शिकार हो गई। विपक्ष के नेताओं ने हादसे के लिए जिम्मदार सिग्नल फेल्योर के लिए आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले ने कहा कि सिग्नल फेल होने से इतना बड़ा हादसा विश्वास से परे और आश्चर्यजनक है। हादसे ने कुछ गंभीर सवाल खड़े किए हैं जिनका जवाब दिया जाना चाहिए। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि तीनों ट्रेनें एक-दूसरे पर कैसे ढेर हो गईं। शुरुआती खबरों में कहा गया है कि डाउन लाइन पर बेंगलुरु-हावड़ा ट्रेन शाम 6.55 बजे पटरी से उतर गई और कोरोमंडल शाम 7 बजे अप लाइन पर पटरी से उतर गई। कोरोमंडल के पटरी से उतरे डिब्बे पहले बेंगलुरु-हावड़ा और फिर मालगाड़ी से टकरा गए। दूसरी ओर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने रेल दुर्घटना को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बहुत लोगों की इस दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी है। इस दर्दनाक हादसे ने सभी को रूला दिया…कहा जाता है कि हम ट्रेन में कवच लगा रहे हैं, इससे सारे हादसे रुक जाएंगे। कहां है कवच? तीन ट्रेन टकरा गई, कहां है कवच?
अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग मजबूत होने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार ने कहा कि जब पहले इस तरह की दुर्घटनाएं होती थीं तो रेल मंत्री इस्तीफा दे देते थे। पवार ने कहा, ”लेकिन इस मामले में कोई बोलने को तैयार नहीं है।” भाकपा नेता बिनय विश्वम ने कहा कि सरकार का ध्यान केवल लक्जरी ट्रेनों पर है जबकि आम लोगों के लिए ट्रेनें और पटरियां उपेक्षित हैं। बिनॉय विश्वम ने ट्वीट किया, “सरकार केवल लक्जरी ट्रेनों पर ध्यान केंद्रित करती है। आम लोगों की ट्रेनों और पटरियों की उपेक्षा की जाती है। उड़ीसा में हुई मौतें इसी का परिणाम हैं। रेल मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।”
सरकार का ध्यान केवल लग्जरी ट्रेनों पर; आम लोगों की हो रही उपेक्षा, इसी कारण गईं जानें
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