नकदी संकट से जूझ रही विमानन कंपनी स्पाइसजेट ने गो फर्स्ट के समाधान पेशेवर (आरपी) के समक्ष अधिग्रहण की रुचि दिखाई है। एयरलाइन ने पुष्टि की है कि वह जांच-पड़ताल के बाद अधिग्रहण का पेशकश करना चाहती है। शेयर बाजारों को भेजी सूचना में एयरलाइन ने कहा कि अधिग्रहण प्रस्ताव का मकसद गो फर्स्ट को स्पाइसजेट के साथ संभावित गठजोड़ में एक मजबूत और व्यावहारिक एयरलाइन बनाना है। इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि स्पाइसजेट ने दो अन्य कंपनियों शारजाह स्थित एविएशन कंपनी स्काई वन व अफ्रीका केंद्रित सफ्रिक इन्वेस्टमेंट्स के साथ दिवालिया हो चुकी विमानन कंपनी गो फर्स्ट के अधिग्रहण में दिलचस्पी दिखाई है। स्पाइसजेट ने कहा है, “कंपनी के बोर्ड ने हाल ही में अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और विकास योजनाओं में निवेश करने करने व संसाधन प्रदान करने के लिए लगभग 270 मिलियन अमेरिकी डॉलर की नई पूंजी जुटाने की प्रक्रिया को मंजूरी दी है।” कंपनी ने सितंबर तिमाही के नतीजों में उसे 428 करोड़ रुपए के शुद्ध घाटे का एलान किया था जो एक साल पहले के 835 करोड़ रुपये के घाटे का आधा है। भारतीय एयरलाइन को पूर्व प्रमोटर कलानिधि मारन को मध्यस्थता फैसले के बाद बकाया राशि का भुगतान भी करना है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने मीडिया को बताया कि गो फर्स्ट की कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (सीआईआरपी) को मैनेज करने वाले रिजॉल्यूशन प्रफेशनल (आरपी) शैलेंद्र अजमेरा को इन एंटिटीज से पिछले 10 दिनों के दौरान एयरलाइन्स की जांच पड़ताल करने के लिए रिक्वेस्ट मिली थी। गो फर्स्ट पर लेनदारों का 6,200 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा एयरलाइन क्रमशः 1,934 करोड़ रुपये और 1,744 करोड़ रुपये के बकाया के साथ शीर्ष दो लेनदार हैं।
स्पाइसजेट एयरलाइन ने गो फर्स्ट के अधिग्रहण की इच्छा जताई, समाधान पेशेवर से ये कहा
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