आईआईएम अहमदाबाद के पास आउट राघव गुप्ता के लिए हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से प्रभावित अदाणी समूह एक महत्वपूर्ण केस स्टडी है। राघव इसके आगे का जवाब बस मुस्करा कर देते हैं। कभी भाजपा शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी के सलाहकारों में रहे रवि शर्मा इस पूरे घटनाक्रम को देश की नियामक एजेंसियों पर बड़ा सवाल के साथ-साथ बड़ा सबक मानते हैं। इसके सामानांतर केंद्रीय वित्त मंत्रालय के पूर्व सचिव के मुताबिक आदाणी समूह को अनिल अंबानी बनने से बचने के लिए हर उपाय करने की जरूरत है। सूत्र का कहना है कि वह ऐसा कर भी रहे हैं। फिलहाल अब दूर-दूर तक देश का नंबर-1 उद्योगपति बनने की संभावना नहीं दिखाई देती। एक पूर्व अधिकारी का कहना है कि यह सवाल आदाणी समूह के बाजार में 70 फीसदी तक गिर रहे शेयरों का ही नहीं है। बाजार में 10 लाख करोड़ से अधिक घटे पूंजीकरण और पहले नंबर से 23वें नंबर पर जा चुके औद्योगिक घराने की स्थिति भी नहीं चौंकाती। पूर्व वित्त सचिव कहते हैं कि यह तो बाजार है। उतार-चढ़ाव लगा रहता है। बड़ा सवाल सेबी और नियामक एजेंसियों को लेकर है। इसकी कहीं न कहीं मार हमारे एजेंसियों और व्यवस्था की साख पर पड़ती है। निवेशक इसका नुकसान उठाते हैं। सूत्र का कहना है कि हमारे यहां आंधी आने और मामला बिगड़ने के बाद नियामक जागते हैं। यही हाल सेबी का है। अब वह मामले की तह तक जाएगा और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को जांच करके पूरी रिपोर्ट सौंपेगा। आर्थिक मामले पर गहरी पकड़ रखने वाले अधिकारी का कहना है कि जब पिछले कुछ साल से आदाणी समूह की परिसंपत्तियां लगातार उछाल ले रही थीं, तब यह नियामक क्या कर रहे थे?
समूह की साख बचाने के लिए सबकुछ कर रहे हैं अदाणी
रवि शर्मा कहते हैं कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अदाणी समूह जरूरत से ज्यादा घबरा गया। ऐसा बिना किसी बड़े कारण के नहीं होता। राघव गुप्ता कहते हैं कि 20 हजार करोड़ के एफपीओ को वापस लेकर समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर मुहर ही लगा दी थी। इसे चाहे घबराहट कह लें या रणनीतिक भूल। लेकिन अब उद्योगपति बहुत संभलकर चल रहे हैं। उन्होंने ग्रांट थॉर्नटन की नियुक्ति की है। यह कंपनियों का ऑडिट करेगी। समूह ने वित्तीय नियंत्रक की भी नियुक्त करने का निर्णय किया है। इसके अलावा कंपनी ने भुगतान के सभी मामलों में संवेदनशीलता बढ़ा दी है। साहसिक निर्णय लेकर साख बचाने की कोशिश में जुटी है। देश की एक नामी कंपनी के वित्तीय मामले को देख रहे सूत्र ने बताया कि अदाणी समूह इस समय बहुत फूंक-फूंककर कदम उठा रहा है। उसे पता है कि बाजार में साख का मतलब क्या होता है? सूत्र का कहना है कि घरेलू निवेशक मायने रखते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय निवेशक कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। इसलिए साख को मजबूती देने के लिए आदाणी समूह कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी अदाणी समूह में आ रहे भूचाल को लेकर अपनी राय रखी है। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा है कि भाजपा के पास अदाणी प्रकरण में कुछ भी छिपाने या डरने लायक नहीं है। नॉर्थ ब्लाक में अफसरों के बीच में आदाणी समूह को लेकर चर्चा होती है। आर्थिक मामलों के सचिव वी रवि से लेकर राजस्व मामले के सचिव के कार्यालयों तक। लेकिन कोई ऑन द रिकार्ड खुलकर चर्चा नहीं करना चाहता। एक वरिष्ठ अफसर ने केवल इतना कहा कि सब ठीक हो रहा है। जो हुआ वह चिंता की बात है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मामले में अपना सीमित पक्ष रखा है। उन्होंने यह नहीं बताया कि सरकार इस प्रकरण में आगे क्या करने जा रही है, लेकिन तीन दिन पहले प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि भारतीय नियामक बहुत अनुभवी हैं। वे अभी नहीं, लगातार सजग रहते हैं। मामले को देख रहे हैं। सेबी ने भी पूरे मामले में रिपोर्ट वित्त मंत्री को देने की घोषणा की है। लेकिन अपने आप में यह एक बड़ा सवाल है कि जब आडाणी समूह के शेयर बाजार में अपनी धमक बना रहे थे, तब भारतीय नियामक क्या कर रहे थे? अगर यह सवाल कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी जयराम रमेश से पूछें, तो वे अपने अंदाज में कहते हैं कि अदाणी को बचा रहे थे। विपक्ष संसद में नारा भी लगा रहा है कि “मोदी-आदाणी भाई-भाई, दोनों खा रहे हैं मलाई।” संवाददाता के पास इसकी पुख्ता जानकारी है। गौतम अदाणी को उत्तर प्रदेश ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट में आना था। उनका कार्यक्रम पहले से तय था। मुंबई में रोड-शो के दौरान अदाणी ने सवा लाख करोड़ रुपये के निवेश की सहमति दी थी। योगी सरकार ने बड़े सम्मान के साथ आने का न्यौता भेजा था। राज्य सरकार के एक बड़े अफसर ने केवल इतना कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण वह अनुपस्थित रहे होंगे। जबकि इससे पहले राजस्थान में उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मंच साझा किया था। इस सम्मेलन में देश के दिग्गज उद्योगपतियों ने उपस्थिति दर्ज कराई। मुकेश अंबानी ने बड़ी घोषणाएं भी कीं। हालांकि अदाणी समूह ने प्रदेश में 24200 करोड़ रुपये के निवेश के लिए आपसी सहमति पत्र पर दस्तखत किया है। अदाणी समूह बहराइच, लखनऊ, गाजियाबाद, प्रयागराज, बरेली, मुरादाबाद समेत तमाम शहरों में वेयर हाऊस और लाजिस्टिक सपोर्ट में निवेश करेगा।