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हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट जज पर निर्देशक का तंज, कही ये बात

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बॉलीवुड निर्देशक विवेक अग्निहोत्री फिल्मों से हटकर कई मुद्दों पर अपनी राय रखते नजर आते हैं। अब विवेक अग्निहोत्री ने हिजाब मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। दरअसल हाल ही में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ फैसला दिया है। जिसके बाद विवेक अग्निहोत्री ने ट्वीट कर उनके इस फैसले पर असहमति जताते हुए उन पर तंज कसा है। कुछ दिनों पहले स्विस  सरकार के द्वारा बुर्का प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों पर 1,000 डॉलर का जुर्माना लगाने का बिल संसद में पेश किया गया था। ऐसे में जब जस्टिस धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर कई तर्क देते हुए हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ फैसला सुनाया तो विवेक अग्निहोत्री ने स्विस सरकार की ओर से जारी किए गए इस बिल की एक रिपोर्ट साझा करते हुए ट्वीट कर लिखा- “मैं बुर्का के खिलाफ इस अंतरराष्ट्रीय, इस्लामोफोबिक साजिश पर न्यायमूर्ति धूलिया के विचार जानना चाहता हूं।” दरअसल सुप्रीम कोर्ट में 13 अक्टूबर, 2022 को कर्नाटक हिजाब विवाद पर फैसला सुनाया गया था। इस मामले की सुनवाई दो जजों जस्टिस धूलिया और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच कर रही थी। कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब के साथ प्रवेश पर बैन के इस मामले में दोनों ही जजों की राय अलग-अलग रही। जहां जस्टिस हेमंत गुप्ता ने इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सही मानते हुए बैन के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया था, वहीं दूसरे जज सुधांशु धूलिया की पीठ की राय इस मामले में अलग थी और उन्होंने बुर्का बैन पर असहमति जताई थी।जस्टिस धूलिया ने हिजाब बैन मामले में तर्क देते हुए कहा कि मेरे फैसले का मुख्य जोर इस बात पर है कि इस विवाद में आवश्यक धार्मिक अभ्यास की पूरी अवधारणा जरूरी नहीं थी। हाईकोर्ट ने इस मामले पर गलत रास्ता अपनाया। यह पूरी तरह से अपनी पसंद और अनुच्छेद 14 और 19 का मामला है। इसके अलावा जस्टिस धूलिया ने लड़कियों की शिक्षा पर इसका प्रभाव पड़ने की भी बात कही। उन्होंन कहा, इन क्षेत्रों की लड़कियां पहले घर का काम करती है और फिर स्कूल जाती हैं। बालिकाओं की शिक्षा मेरे मन में सबसे बड़ा सवाल था। उन्होंने कहा कि लड़कियों को स्कूल के गेट में प्रवेश करने से पहले हिजाब उतारने के लिए कहना उनकी निजता पर हमला है, फिर उनकी गरिमा पर हमला है और अंततः उन्हें धर्मनिरपेक्ष शिक्षा से वंचित करना है। जस्टिस धूलिया ने कहा कि अगर लड़कियां हिजाब पहनना चाहती हैं, यहां तक कि उनकी कक्षा के अंदर भी, उन्हें रोका नहीं जा सकता, अगर इसे उनकी पसंद के मामले में पहना जाता है।

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