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26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण जल्द, वकील निकम बोले- कुछ महीने का इंतजार

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26/11 मुंबई आतंकी हमले मामले में आरोपी पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा को जल्द ही भारत लाया जा सकता है। मामले के विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम का कहना है कि आरोपी तहव्वुर राणा का संभावित प्रत्यर्पण अब कुछ महीनों का सवाल है। निकम का यह बयान अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें उन्होंने 26/11 के मुंबई हमलों में शामिल लोगों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की थी। हालांकि, पटेल ने कहा था कि तहव्वुर राणा की प्रत्यर्पण प्रक्रिया एक लंबित मामला है। एक अमेरिकी अदालत ने गुरुवार को तहव्वुर राणा द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट को खारिज कर दिया, जिससे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन के लिए उसे भारत प्रत्यर्पित करने के लिए प्रमाणपत्र जारी करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। तहव्वुर राणा पर 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में शामिल होने का आरोप है। अमेरिकी अदालत द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट को खारिज करने पर उज्जवल निकम ने कहा, वास्तव में यह भारत के लिए एक बड़ी सफलता है और मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है यह अमेरिकी सरकार और भारत सरकार के बीच अच्छे संबंधों की वजह से हुआ है। अमेरिकी प्रशासन ने घोषणा की थी कि मुंबई पर 26/11 को हुए आतंकवादी हमले के मामले में अपराधी कोई भी हो, उन्हें कानून के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए। निकम ने आगे कहा कि अब यह सब अमेरिकी प्रशासन पर निर्भर करेगा कि तहव्वुर राणा को मुकदमे के लिए भारत वापस कब भेजा जाता है। विवादास्पद सवाल यह है कि उस पर मुकदमा कहां चलाया जाएगा। दिल्ली में एनआईए की अदालत में या कहीं और इन सवालों का फैसला जांच एजेंसी द्वारा किया जाएगा। तहव्वुर राणा पहला व्यक्ति नहीं है जो 26/11 हमले की साजिश का हिस्सा होने का आरोप लगने के बाद वर्तमान में अमेरिकी जेल में सजा काट रहा है। राणा से पहले डेविड कोलमैन हेडली को भी अमेरिका ने गिरफ्तार किया था। हेडली ने भारत में प्रत्यर्पित किए जाने से बचने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ एक समझौता किया। हालांकि, उसका बयान निकम द्वारा दर्ज किया गया था। निकम ने एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के माध्यम से खुली अदालत में हेडली के साथ जिरह की थी।

जब उनसे पूछा गया कि अगर तहव्वुर राणा को भारत लाया जाएगा और गवाह या आरोपी के रूप में उससे पूछताछ की जाएगी तो क्या उन्हें कोई बड़ी प्रगति नजर आती है? निकम ने कहा, दरअसल राणा मूल रूप से पाकिस्तान में जन्मा व्यक्ति है और बाद में उसने अमेरिका की नागरिकता स्वीकार कर ली और उसके बाद अमेरिका में रहकर भी वह इन आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त था। अब यह साफ हो गया है कि डेविड हेडली उसका बायां और दायां हाथ था और राणा की मिलीभगत से उसने मुंबई में इमीग्रेशन ऑफिस खोला था। तो डेविड हेडली ने 26/11 के आतंकी हमले से पहले भारत का दौरा किया था यहां तक कि आतंकी हमले के बाद भी तहव्वुर राणा ने भी मुंबई का दौरा किया था। राणा को भारत प्रत्यर्पित करने में कितना समय लग सकता है, इस सवाल के जवाब में निकम ने कहा कि इस मुद्दे पर अमेरिका और भारत दोनों की कूटनीति काम करेगी क्योंकि आखिरकार, अमेरिकी कानून के मुताबिक भी उन्हें अपराधी को अपना बचाव करने का पूरा मौका देना होगा। निकम ने कहा, सभी अवसरों का लाभ उठाने के बाद मुझे यकीन है कि बहुत जल्द उसे भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा। अब यह कुछ महीनों का सवाल है क्योंकि तहव्वुर राणा ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लिए मौका खो दिया है और मेरी जानकारी के अनुसार अब उसके पास कोई विकल्प नहीं है।

भारतीय संसद के हाल ही में संपन्न मानसून सत्र के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन को सूचित किया था कि तहव्वुर राणा जल्द ही भारतीय न्यायपालिका का सामना करेगा। तहव्वुर राणा को मुंबई हमलों में उसकी भूमिका के लिए भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें छह अमेरिकियों सहित 175 लोग मारे गए थे। भारतीय अधिकारियों का आरोप है कि राणा ने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलकर आतंकी हमलों को अंजाम देने में पाकिस्तानी आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने की साजिश रची थी। डेविड हेडली ने अपना दोष स्वीकार कर लिया था और राणा के खिलाफ गवाही दी थी।

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